मिठाइयों की लड़ाई: घेवर ने ब्रज क्षेत्र में पेठा व पेड़ा को पछाड़ा
जनता जनार्दन डेस्क ,
Aug 25, 2016, 18:23 pm IST
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मथुराः ब्रज क्षेत्र में यह त्योहारों का समय है और हलवाई घेवर की भारी मांग को पूरा करने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं. हाल यह है कि इसने आगरा के पेठा और मथुरा के पेड़ा समेत अन्य मिठाइयों को पीछे छोड़ दिया है.
जौहरी बाजार क्षेत्र के एक दुकानदार बांके लाल माहेश्वरी का कहना है, “बारिश के कारण निश्चित रूप से लोगों का उत्साह बढ़ा है. यहां घेवर की मांग बढ़ी है, इसके अलावा फैंसी चूड़ियां, कपड़े और महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधन की भी मांग बढ़ी है. इस महीने की शुरुआत में तीज उत्सव के दौरान काफी अच्छा मौसम था और बारिश अभी भी जारी है, जिससे ग्रामीणों में अच्छी फसल की पैदावार को लेकर उत्साह है.” घेवर आमतौर पर बाजार में 160 रुपये किलो बिकती है, लेकिन ‘देशी घी के बने घेवर’ की मांग इतनी ज्यादा है कि यह भगत हलवाई, हीरालाल और देवी राम जैसी बड़ी दूकानों में 300 रुपये किलो बिक रही है. मथुरा के एक हलवाई गिरिराज किशोर का कहना है, “लोग अपनी शादीशुदा बेटियों को घेवर का पार्सल भेज रहे हैं, जिससे माल काफी तेजी से खत्म हो रहा है.” घेवर नाम की मिठाई केवल सावन और भादो महीने के दौरान तीज और रक्षाबंधन से पहले ही उपलब्ध होती है. अब इस मिठाई के कई नए संस्करण उपलब्ध हैं, जिनमें मलाई का घेवर, चॉकलेट का घेवर, आम का घेवर आदि है. इन फ्लेवर और नए रंगों की मिठाइयों की खूब मांग है. घेवर को मैदे से बनाया जाता है और इसे भूनकर चाशनी में डूबोया जाता है. इसकी ड्रेसिंग रबड़ी या सूखे मेवों से की जाती है. इसका स्वाद इस पर निर्भर करता है कि इसे किस प्रकार के चूल्हे पर पकाया गया है. देशी घी के बने घेवल महंगे होते हैं, लेकिन उनकी काफी मांग है. इस मिठाई का मूल राजस्थान में है, जहां तीज एक महत्वपूर्ण त्योहार है. |
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