दीपा करमाकर को यहां तक पहुंचाने के लिए साजिशों से लड़े हैं नंदी
जनता जनार्दन डेस्क ,
Aug 22, 2016, 18:54 pm IST
Keywords: Dipa Karmakar Bisheswar Nandi Tripura Sports Council Gymnastics Federation of India दीपा करमाकर बिशेस्वर नंदी भारतीय जिमनास्टिक संघ
अगरतला: भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर के कोच बिशेस्वर नंदी ने एक बार दीपा के खिलाफ हो रही साजिशों के चलते उनके करियर को बचाने के लिए त्रिपुरा सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।
दीपा के कोच ने इस पत्र में लिखा था कि भारतीय जिमनास्टिक संघ के मुख्य कोच रहे गुरदयाल सिंह बावा से दीपा के करियर को खतरा है। नंदी स्वयं जिमनास्टिक में पांच बार के राष्ट्रीय विजेता रह चुके हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, जब मैंने बांग्लादेश में हुए टूर्नामेंट में दीपा को दूसरे स्थान पर डालने को लेकर जानबूझकर हुए पक्षपात का मुद्दा उठाया, तो बावा ने मुझे डरा-धमकाकर अगरतला वापस आने के लिए कहा। कोच ने कहा, मैंने उन्हें कहा कि अगर वह आ सकते हैं, तो बंदूक के साथ आएं। नंदी ने बताया कि किस प्रकार ढाका में 28 से 30 दिसम्बर, 2011 में हुई सुल्ताना कमाल चैम्पियनशिप में दीपा को पहले स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर डाल दिया गया था। इसमें मीनाक्षी को पहला स्थान दिया गया था, क्योंकि बावा और अन्य महिला कोच उनके करीब थीं। दीपा को जानबूझकर पक्षपात करते हुए दूसरे स्थान पर रखने के पीछे नंदी को किसी बड़ी साजिश का अहसास हुआ, क्योंकि उसका प्रदर्शन मीनाक्षी से कई अधिक बेहतर था। नंदी ने जब टूर्नामेंट के बाद इस मुद्दे को उठाया, तो बावा ने उनके तथा दीपा के करियर को खराब करने की धमकी दी। इससे निराश और डरे हुए नंदी ने त्रिपुरा खेल परिषद को एक पत्र लिखा और स्वयं तथा दीपा के करियर को बचाने के लिए राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी भी मिली थी कि 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में गई भारतीय जिमनास्टिक टीम के लिए संघ में काफी कलह भी हुई थी। इस टीम में आखिरकार दीपा को शामिल किया गया और उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन इतिहास रचा। उन्होंने इस टूर्नामेंट में वॉल्ट स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया था। इस वर्ष रियो ओलम्पिक में उन्होंने जिमनास्टिक की वॉल्ट स्पर्धा के फाइनल में कुल 15.066 अंकों के साथ चौथा स्थान हासिल किया। नंदी कुछ समय तक फुटबाल खिलाड़ी भी रहे थे और कुछ समय बाद वह जिमनास्टिक के मुख्य कोच बन गए। आश्चर्य की बात यह है कि दीपा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सबसे बड़े टूर्नामेंट में पहुंचाने के बाद भी वह द्रोणाचार्य पुरस्कार से वंचित हैं। भारत के 1970 के दशक के जिमनास्ट लोपा मुद्रा घोष ने कहा, ऐसा इसलिए है, क्योंकि बावा अपने जीवन भर की उपलब्धि के रूप में द्रोणाचार्य पुरस्कार पाने हेतु स्वयं से पैरवी कर रहे हैं। नंदी को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिलवाने के लिए घोष तथा अन्य शीर्ष स्तर के पूर्व जिमनास्ट ने फेसबुक पर एक अभियान की शुरुआत की है। घोष ने बताया, अगर हम महाभारत युग के दिग्गज आचार्य का सम्मान करते हैं तो हमें इस बात को सुनिश्चित करना है कि द्रोणाचार्य पुरस्कार बावा को नहीं, नंदी को मिले। |
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