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रियो शहर में न मच्छर हैं और न ही जीका का खतरा

जनता जनार्दन डेस्क , Aug 07, 2016, 19:24 pm IST
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रियो शहर में न मच्छर हैं और न ही जीका का खतरा रियो डी जेनेरियो: जैसे-जैसे आप ओलिंपिक शहर रियो की ओर रुख करेंगे, आपको बड़े इलाके बादलों से और छोटी-छोटी पहाड़ियां हरियाली से घिरी नजर आएंगी. यह नजारा अक्सर शाम को और भी सुहाना हो जाता है.

शहर में हालांकि, जीका के खतरे की कहानियां काफी चर्चा में थी, लेकिन स्थानीय अधिकारियों द्वारा मच्छरों से बचाव के लिए नियमित रूप से छिड़काव और अन्य प्रयास इस सभी लोगों में इस खतरे की चिंता को धुंधला कर रहे हैं.

जीका वायरस के खतरे ने 31वें ओलिंपिक खेलों की शुरुआत के पहले से ही लोगों के मन में एक डर पैदा कर दिया था। इस कारण कई एथलीटों ने रियो ओलिंपिक में हिस्सा न लेना का फैसला किया.

इस वायरस का सबसे अधिक खतरा गर्भवती महिलाओं के अजन्मे बच्चों को होता है, क्योंकि इस वायरस से पीड़ित बच्चे के दिमाग के विकास को रोकता है.

जीका वायरस यौन संपर्क के माध्यम से प्रेषित होता है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि इसके खतरे ने अपने पैर पसारे हैं और लोगों के मन में इसके डर ने भी जगह बनाई.

रियो में एथलीट मच्छरों के काटने से बचने की बात को ध्यान में रखकर आए थे, लेकिन अधिकतर एथलीटों को जीका वायरस से चिंतित होने का कोई खास कारण नहीं मिला.

रियो ओलिंपिक में भारतीय दल के प्रमुख राकेश गुप्ता ने बताया, "मुझे इस स्थान पर मच्छरों के होने का कोई भी सबूत नहीं मिला. चिंता थी, लेकिन मुझे लग रहा है कि यह अब धीरे-धीरे कम हो रही है."

राकेश ने कहा कि मच्छरों से बचने के लिए काफी पर्याप्त सावधानी बरती गई. एथलीटों को क्रीम और 'ओएंटमेंट्स' दिए गए. इसके साथ ही उन्हें खिड़कियों को बंद रखने तथा पूरी बाजू के कपड़े पहनने के लिए भी कहा गया.

भारत के 'शेफ दे मिशन' ने कहा, "हालांकि, पिछले कुछ दिनों में हमने दो देखा है. उससे यहीं समझ में आया है कि इस खतरे के बारे में चिंता निराधार है."

ओलिंपिक खेलों की स्पर्धाओं के बीच जीका वायरस के खतरे की चिंता धुंधली होती नजर आ रही है.

भारतीय टीम के चिकित्सक राज कुमार सिंह नेगी ने कहा, "हमने सामान्य सावधानियां बरती हैं, क्योंकि यहां आने से पहले रियो के बारे में कई प्रकार की कहानियां सुनने में आई थीं."

भारतीय सेना के कर्नल और ओलिंपिक भारतीय दल में शामिल तीन चिकित्सकों में से एक नेगी ने आईएएनएस को बताया, "जैसा कि सामने है कि शीत ऋतु में वायरस का फैलना बिल्कुल कम होता है, लेकिन विभिन्न देशों के एथलीटों के चिकित्सकों को अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) की मेडिकल टीम ने इस वायरस के बारे में काफी विवरण दिया था."

नेगी ने बताया, "आईओसी की मेडिकल टीम ने बताया कि जीका, डेंगू और मेलरिया की घटनाएं ग्रीष्म ऋतु के मुकाबले पिछले कुछ सप्ताह से पांच प्रतिशत कम हुई हैं."

ब्राजील में शीत ऋतु के कारण इस वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक नहीं है. अधिकारियों के द्वारा किए गए प्रयास के कारण वायरस के मामलों में काफी कमी आई है.

अमेरिका में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्था 'सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल' से चिकित्सकों ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गर्भवती महिलाओं को सावधानी के तौर पर यात्रा न करने की सलाह दी गई है.

'मुस्कुलोस्केलेटल रेडियोलॉजिस्ट' विशेषज्ञ नेगी ने कहा कि सावधानी जरूरी है, लेकिन एथलीटों के जहन में इससे भी अधिक पदक जीतने की जुनून सवार है. उनके लिए इस खतरे से अधिक अच्छा प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है.

कई देशों के एथलीटों ने मीडिया को बताया है कि उन्हें जीका की कोई चिंता नहीं है और इसका सबूत भी है.

अमेरिका में कनेक्टिकट में येल विश्वविद्यालय के शोधकतार्ओं ने एक शोध जारी किया, जिसमें यह कहा गया है कि रियो में ओलम्पिक खेलों के दौरान बढ़ सकता है. उन्होंने ओलिंपिक खेलों के दौरान रियो में 10 लाख से आधे लोगों के आने की उम्मीद जताई थी.

अमेरिका के दिग्गज गोताखोर डेविड बोउडिया ने फरवरी में रियो के दौरे के दौरान हर ओर मच्छरों को पाया था. उनसे जब मीडिया ने जीका के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि यहां मुश्किल से ही कोई मच्छर देखा गया होगा.

हर ओलिंपिक खेलों में कोई न कोई चीज चिता का कारण रही है. लंदन ओलिंपिक-2012 में सुरक्षा मुख्य कारण थी और बीजिंग ओलिंपिक-2008 में धुंध ने लोगों की चिंता बढ़ाई थी.

इस प्रकार रियो में जीका का मुद्दा काफी बढ़ा था. हालांकि, इस बारे में कोई भी अधिक चितित नहीं है.
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