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रियो ओलिंपिक्स 2016: भारत को पहले से ज्यादा पदकों की उम्मीद

जनता जनार्दन डेस्क , Aug 04, 2016, 17:28 pm IST
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रियो ओलिंपिक्स 2016: भारत को पहले से ज्यादा पदकों की उम्मीद रियो डी जेनेरियोः आबादी के लिहाज़ से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश भारत ओलिंपिक्स पदकों के मामले में फिसड्डी रहा है और यह किसी से छिपा नहीं है. बीते 3 दशक यानी 30 वर्षों का इतिहास उठाकर देखें तो पाएंगे कि भारत की झोली में एकमात्र गोल्ड मेडल शूटिंग से आया है और वह भी दिलाया है अभिनव बिंद्रा ने. उन्होंने 2008 में 10 मीटर राइफल शूटिंग में यह पदक जीता था.

रियो ओलिंपिक्स के लिए दुनिया भर के खिलाड़ियों ने अपनी बाज़ुएं चढ़ा ली हैं और जूते कस लिए हैं. भारत की ओर से भी करीब 100 खिलाड़ियों की टीम है जो अलग अलग खेलों में भाग लेने के लिए रियो पहुंच गई है.

इन खिलाड़ियों का भारत में काफी उत्साहवर्धन किया जा रहा है.उम्मीद है कि रियो में लंदन से ज्यादा पदकों को लेकर भारतीय खिलाड़ी लौटेंगे. खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसे एक स्टील बनाने वाली कंपनी ने तैयार किया है.

एक अगस्त को पोस्ट किया गया यह वीडियो #ruknanahihai के साथ काफी शेयर किया जा रहा है.

छोटे शहरों से रियो ओलिंपिक्स तक के सफर पर निकले खिलाड़ियों की कहानी बताता यह वीडियो, आपको और हमें भी जीवन में कभी भी रुकने या हार न मानने की सीख देता है. इसे फिल्म जगत के चर्चित लेखक वसन बाला ने निर्देशित किया है.

जेएसडब्लू स्टील कंपनी के लिए बनाया गया यह वीडियो कहता है कि मिट्टी नई है, मैदान अलग हैं लेकिन शर्त वही है...रुकना नहीं है

2008 बीज़िंग ओलिंपिक्स गेम्स में भारत की झोली में कुल 3 मेडल आए थे जिसे कि उस वक्त बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि उससे पहले भारत को ओलंपिक में एक्का-दुक्का मेडल ही मिला करते थे. चार साल बाद 2012 में लंदन ओलिंपिक्स में तस्वीर बदली और भारत को कुल 6 मेडल्स मिले.

हम आपको ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में बता रहे हैं जो नीतिगत रूप से भारतीय दल को ओलिंपिक्स में ज्यादा पदक लाने के लिए प्रेरित करते हैं. बीते 4 वर्षों के अंतराल में सरकार ने खेल स्थिति को सुधारने के लिए जो कदम उठाए:

1. राष्ट्रीय खेल विकास फंड के अंतर्गत खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ने टार्गेट ओलिंपिक्स पोडियम यानी टीओपी स्कीम शुरू की. इसके तहत रियो ओलिंपिक्स में प्रतिभाग करने वाले भारतीय खिलाड़ियों को व्यक्तिगत रूप से ट्रेनिंग मिली.

इस मकसद को अंजाम देने के लिए सरकार ने कुल 45 करोड़ का बजट पास किया था. इसमें कुल 100 एथलीट्स चुने गए थे. इस लिहाज़ से देखा जाए तो प्रत्येक खिलाड़ी पर औसतन 30 से 150 लाख रुपए ट्रेनिंग में खर्च किए गए.

2. ट्रेनिंग एवं प्रतिस्पर्धाओं के सालाना कैलेंडर के हिसाब से बीते 2 सालों में एथलीटों को खुले रूप से वित्तीय मदद मुहैया कराई गई है. देश-विदेश में ट्रेनिंग या कॉम्पटीशन में प्रतिभाग करने के लिए कुल 180 करोड़ रुपए खर्च किए गए.

3. 2012 ओलिंपिक्स से लेकर अबतक साई सेंटर्स को मॉडर्न और लेटेस्ट फैसेलिटीज़ से युक्त किया गया है. इनमें एंटी ग्रैवटी ट्रेडमिल्स, हायपॉक्सिक चैम्बर्स और न्यूरोट्रैकर्स शामिल हैं. इसके अलावा मॉडर्न स्पोर्ट साइंस तकनीक भी कई सेंटर्स को उपलब्ध कराई गई है, जिसका खिलाड़ियों ने भरपूर इस्तेमाल किया.

4. बात अगर तकनीकी अधिकारियों जैसे पर्सनल कोच, फिज़ियो, ट्रेनर्स आदि की करें तो रियो ओलिंपिक्स की तैयारियों के लिए ज़रूरी संख्याबल को मुहैया कराया गया। इस बीच मैनेजिंग स्टाफ को कम किया गया.

5. 40 से अधिक विदेशी कोच और एक्सपर्ट की मदद से भारतीय एथलीटों को ट्रेनिंग दिलाई गई.
 
6. इस दौरान प्रति खिलाड़ी खाने की धनराशि में भी इजाफा किया गया. इसे 450 रुपए प्रति व्यक्ति से 650 रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया गया. जबकि सप्लीमेंट धनराशि को 300 रुपए से 700 रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया गया.

7. पिछले ओलिंपिक्स तक खिलाड़ियों को उद्घाटन दिवस से 2 या 3 दिन पहले ही भेजा जाता था लेकिन इस बार उन्हें लगभग 15 दिन पहले ही रियो डी जेनेरियो भेजा गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे वहां पहुंचकर स्थानीय वातावरण के हिसाब से खुद को ढाल सकें.

5 अगस्त से 21 अगस्त के बीच होने वाले रियो ओलिंपिक्स खेलों में कुल 42 तरह के खेल कराए जाएंगे, जिनमें कुल 205 देश हिस्सा लेंगे. भारत की ओर से गई टोली से बैडमिंटन, तीरंदाज़ी, कुश्ती, बॉक्सिंग और शूटिंग में अच्छे प्रदर्शन और पदक की उम्मीद की जा रही है.
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