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कोरियन कल्चरल सेंटर के 'ड्रीम प्रॉजेक्ट 2016' में बिखरा संगीत का जादू

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 22, 2016, 19:56 pm IST
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कोरियन कल्चरल सेंटर के 'ड्रीम प्रॉजेक्ट 2016' में बिखरा संगीत का जादू नई दिल्ली: 'ड्रीम प्रॉजेक्ट 2016' का समापन समारोह लाजपत नगर स्थित, कोरियन कल्चरल सेंटर में हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत निदेशक किम कुम प्योंग द्वारा दीप प्रज्वलित कर हुई. इसके अंतर्गत संगीत सीखने की ललक रखने वाले मेधावी छात्रों को चयनित कर ट्रेनिग दी गई थी.  

छात्रों द्वारा आज बेहतरीन प्रदेशनी देखने को मिला. गायन एवं पियानों की धुन ने उपस्थित दर्शकों को खूब लुभाया. संगीत के द्वारा भारत और दक्षिण कोरिया के रिश्ते को मजबूत बनाने की यह पहल 2013 में 'ड्रीम प्रॉजेक्ट' के नाम से शुरू की गई थी.

ड्रीम प्रोजेक्ट 2016 की शुरुआत उमंग भरी रही. इसमें कोरियाई नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट के पूर्व छात्र ह्वांग जुन्यौंग, सो येऊन, कंग सुंग ह्यून, किम बोरा, नाम गिजुं, शिक्षक के रूप में चयनित छात्रों को परिक्षण दें रहे थे. पियानो में दीप चटर्जी, गौरी मिश्रा, गायन में भर्ती गुप्ता एवं  वायलिन में मोहित खुशवाणी ने अपना हुनर दिखाया.

निदेशक किम कुम प्योंग ने सभी चयनित छात्रों को बधाई देते हुए कहा की संगीत एक ऐसा माध्यम है जो एक देश को दूसरे देश से जोड़ता है.

छात्रों में छिपे टैलेंट को उजागर कर उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय मंच देना इस कार्यक्रम का हमेशा से मुख्य उद्देश्य रहा है. प्रतिभा को अगर मार्गदर्शन मिले तो वे आसमा छू सकते हैं. यह एक पहल है संगीत सीखने और छात्रों के हुनर को लोगो के सामने लाने की.


चयनित छात्र दीप चटर्जी ने कहा कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि 'ड्रीम प्रोजेक्ट 2016' द्वारा मुझे पियानो क्लास सीखने का मौका मिला. यहाँ इतने कम समय में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला और उसके साथ मैंने अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिया.

शिक्षक ह्वांग जुन्यौंग ने कहा कि सभी मौजूदा छात्रों में अपार हुनर छिपा है, भारत में संगीत का हुनर भरा पड़ा है.  इन ट्रेनिग के दौरान हमें भी भारतीय संगीत को समझने का मौका मिला.  छात्र न केवल हुनर से भरे है बल्कि सीखने की जिज्ञासा भी अपार है. यह मौका हम भविष्य में भी पाना चाहेंगे.

शिक्षक किम बोरा ने कहा इतने कम दिनों में छात्रों से हमारा गहरा रिश्ता बन गया है. सोशल मीडिया के द्वारा भी हम एक दूसरे के साथ जुड़े रहेंगे. क्लासेस खत्म हुए हैं सीखने का सफर अभी भी जारी है.
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