राष्ट्रपति ने किया संगीत नाटक अकादमी में स्वामी विवेकानंद सभागार का उद्घाटन
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 06, 2016, 7:41 am IST
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नई दिल्लीः राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजधानी के संगीत नाटक अकादमी में स्वामी विवेकानंद सभागार का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद में प्राचीन भारत के खुलेपन, आत्मसात और हमेशा आह्वान करने की विचारधारा सन्निहित थी। इसी तरह भारतीय नृत्य कथक प्रभावों को आत्मसात करने की एक शैली है जो ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से महाभारत काल से इसे यादगार बनाए हुए है। राष्ट्रपति ने बताया कि जिसके नाम पर यह सुंदर सभागार का नाम रखा गया है वे न सिर्फ एक बहुत अच्छे गायक थे, बल्कि पखावज के दक्ष वादक भी थे। उन्होंने कहा कि हम स्वामी जी की अध्यात्मिक कौशल, उनकी व्यक्तिगत विद्वत्ता, वाग्मिता और करिश्मा की तो बहुत चर्चा करते हैं, लेकिन उनकी संगीत के निर्विवाद ज्ञान को भूल जाते हैं। वे केवल संगीत के केवल साधक ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपनी पहली किताब तो संगीत पर ही लिखी थी। स्वामी जी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया था और कहा जाता है कि अपने जीवन के उत्तरवर्ती भाग में बेलुर मठ में रहने वालों को जगाने के लिए वह सुबह- सुबह तानसेन के रचित राग अहिर भैरव का ध्रुपद का तानपुरे पर गायन करते थे। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत की संगीत और नाटक अकादमी तथा कथक केंद्र भारत की कलात्मक विरासत को आगे बढ़ाने में अनुकरणीय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इनके प्रयासों में लगातार सफल होने की कामना की और अपनी पहुंच को और आगे तक बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। राष्ट्रपति ने विवेकानंद सभागार को गुरुओं, छात्रों तथा शिष्यों को समर्पित करते हुए आशा जताई कि स्वामी विवेकानंद हमें हमेशा अपनी उत्कृष्टता के दृष्टिकोण का आशीर्वाद देते रहेंगे। इस अवसर पर केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा, संस्कृति सचिव एन के सिन्हा और संगीत ओर नाटक अकादमी के अध्यक्ष शेखर सेन मौजूद थे. |
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