राष्ट्रीय महिला नीति 2016: जानें क्या है परामर्श के लिए जारी इस मसौदे में
जनता जनार्दन संवाददाता ,
May 18, 2016, 15:49 pm IST
Keywords: National Policy for Women Union WCD Minister Maneka Sanjay Gandhi National Policy for Women draft National Policy for Women 2016 महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी राष्ट्रीय महिला नीति 2016 राष्ट्रीय महिला नीति 2016 का मसौदा
नई दिल्लीः महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने यहां हितधारकों की टिप्पणियों और परामर्श के लिए राष्ट्रीय महिला नीति, 2016 का मसौदा जारी किया.
नई दिल्ली में इंडियन वूमेंस प्रेस कोर में देश भर की चुनिंदा महिला पत्रकारों के बीच प्रेस वार्ता के दौरान नीति का मसौदा जारी करते हुए मेनका गांधी ने कहा कि पन्द्रह वर्षों के बाद नीति की समीक्षा की जा रही है और आशा की जाती है कि अगले 15-20 वर्षों के दौरान महिला संबंधी मुद्दों पर सरकार की कार्यवाही को दिशा निर्देश प्राप्त होगा. मंत्री महोदय ने कहा कि 2001 की पिछली नीति के बाद अब तक चीजों में बहुत बदलाव आ गया है, खासतौर से महिलाओं की अपने प्रति जागरूकता और जीवन से उनकी आकांक्षाएं उसमें शामिल हो गईं हैं. उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखकर नया मसौदा तैयार किया गया है. उन्होंने मसौदे पर परामर्श और टिप्पणियां देने का आग्रह किया ताकि दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा सके. पृष्ठभूमि: राष्ट्रीय महिला अधिकारिता नीति, 2001 तैयार होने के बाद लगभग डेढ़ दशक बीत चुके हैं. तब से लेकर अब तक विश्व प्रौद्योगिकी और सूचना प्रणालियों के विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था तीव्र विकास के रास्ते पर अग्रसर है तथा महिलाओं पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. पिछले कुछ दशकों के दौरान महिलाओं को शक्ति संपन्न करने की गतिविधियों में तेजी आई है. महिलाएं पूरे देश की विकास प्रक्रिया में शामिल हैं और लाभों को प्राप्त करने में सक्षम हो रही हैं. इन परिवर्तनों के कारण महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के अवसर और संभावनाएं भी बढ़ी हैं. इसके अलावा लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारिता के संबंध में नई चुनौतियां और समस्याएं भी सामने आ रही हैं. इस नीति का लक्ष्य है कि महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण हो और उनके लिए सामाजिक-आर्थिक वातावरण तैयार हो ताकि वे अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें, संशाधनों पर उनका नियंत्रण हो तथा लैंगिक समानता तथा न्याय के सिद्धांतों को स्थापित किया जा सके. नीति में ऐसे समाज की अभिकल्पना की गई है जहां महिलाएं अपनी क्षमता का भरपूर इस्तेमाल कर सकें और जीवन के हर पक्ष में बराबरी कर सकें. नीति का लक्ष्य है कि महिलाओं के लिए एक ऐेसा सकारात्मक सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक माहौल तैयार हो सके जिसमें महिलाएं अपने मूल अधिकारों को प्राप्त कर सकें. प्राथमिकताएं: I. खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सहित स्वास्थ्य – इसके तहत महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर फोकस किया गया है और परिवार नियोजन योजनाओं के दायरे में पुरुषों को भी रखा गया है. इसके तहत महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को हल किया जाएगा और उनके कल्याण को ध्यान में रखा जाएगा। इसके तहत किशोरावस्था के दौरान पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा योजना इत्यादि शामिल की गईं हैं। II. शिक्षा – इसके अंतर्गत किशोरावस्था वाली लड़कियों को प्राथमिक-पूर्व शिक्षा पर ध्यान दिया गया है तथा प्रयास किया जाएगा कि वे स्कूलों में पंजीकरण करा सकें और उनकी शिक्षा की निरंतरता बनी रहे। इसके अंतर्गत लड़कियों के लिए स्कूल तक पहुंचना सुगम्य बनाया जाएगा और असमानताओं को दूर किया जाएगा। III. आर्थिक उपाय – इसके तहत महिलाओं के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत व्यापार समझौतों और भूस्वामित्व के डेटा बेस को महिलाओं के अनुकूल बनाना, श्रम कानूनों और नीतियों की समीक्षा करना और मातृत्व और बच्चों की देखभाल संबंधी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उचित लाभ प्रदान करना, समान रोजगार अवसर प्रदान करना तथा महिलाओं की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है। IV. शासन एवं निर्णय करने में महिलाओं की भूमिका – राजनीति, प्रशासन, लोकसेवा और कार्पोरेट में महिलाओं की भागीदारी बढाना। V. महिलाओं के खिलाफ हिंसा – नियमों और कानूनों के जरिए महिलाओं के खिलाफ हर प्रकार की हिंसा को रोकना, इसके लिए प्रभावशाली नियम बनाना और उनकी समीक्षा करना, बाल लिंग अनुपात को सुधारना, दिशा निर्देशों इत्यादि को कड़ाई से लागू करना, मानव तस्करी को रोकना इत्यादि शामिल हैं। VI. पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन – जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के नुकसान से होने वाली प्राकृतिक आपदा के समय होने वाले पलायन के दौरान लैंगिक समस्याओं को दूर करने को इसमें शामिल किया गया है। ग्रामीण घरों में महिलाओं के लिए पर्यावरण अनुकूल, नवीकरणीय, गैर पारंपरिक ऊर्जा, हरित ऊर्जा संसाधनों को प्रोत्साहन देना। इस नीति के तहत महिलाओं के लिए सुरक्षित साइबर स्पेस बनाना, संविधान के प्रावधानों के तहत व्यक्तिगत और पारंपरिक नियमों की समीक्षा भी करने का प्रावधान है। वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने की भी समीक्षा की जाएगी ताकि महिलाओं के मानवाधिकारों की सुरक्षा हो सके। परिचालन रणनीतियां : इसमें निम्न बिंदु शामिल हैं- • महिलाओं की सुरक्षा- वन स्टॉप केंद्रों, महिला हेल्पलाइन, महिला पुलिस स्वयं सेवक, पुलिस बलों में महिलाओं के लिए आरक्षण, मोबाइल फोन में पैनिक बटन के जरिए महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना, यातायात और आम स्थानों पर निगरानी प्रणाली स्थापित करना। • महिलाओं में उद्यमशीलता के संवर्धन के लिए ईको-प्रणाली बनाना – महिला ई-हाट, समर्पित विषय वस्तु आधारित प्रदर्शनियों के जरिए महिलाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, महिला उद्यमशीलता के जरिए महिलाओं को सलाह देना तथा आसान और सस्ता ऋण उपलब्ध कराना। • सभी हितधारकों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण – इसमें जेंडर चैंपियन पहल के जरिए युवाओं, कामगारों, महिला सरपंचों और महिला संबंधी नीति से जुड़े सभी अधिकारियों को शामिल किया गया है। • कार्यस्थलों में महिलाओं को सुविधा – कार्यस्थलों को महिलाओं के अनुकूल बनाने, कार्यअवधि को लचीला बनाने, मातृत्व अवकाश को बढ़ाने, कार्यस्थलों में बच्चों के लिए क्रेच का प्रावधान करने के जरिए महिलाओं को सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। उक्त दस्तावेज मंत्रालय की वेबसाइट http://wcd.nic.in/acts/draft-national-policy-women-2016 पर उपलब्ध है। |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|