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'जीएसटी पर सहमति होने पर ही संसद का विशेष सत्र'

'जीएसटी पर सहमति होने पर ही संसद का विशेष सत्र' नई दिल्ली: केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत सभी दलों की सहमति बन जाने के बाद ही इसे पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाएगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। जीएसटी विधेयक का उद्देश्य देश में तमाम तरह के अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर एक ही प्रकार की कर व्यवस्था लागू करना है।

सरकारी वार्ताकारों ने इस विधेयक पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से बात की लेकिन इसका कोई खास उत्साहजनक नतीजा नहीं निकला। राहुल इस बात पर दृढ़ हैं कि यह विधेयक तभी पास हो सकेगा जब इसमें कांग्रेस के सुझाए बदलाव शामिल कर लिए जाएंगे।

केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत सभी दलों की सहमति बन जाने के बाद ही इसे पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली, संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू और संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी जीएसटी पर आम राय बनाने के लिए सभी राजनैतिक दलों से मिल रहे हैं।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक अधिकांश दल विधेयक के पक्ष में हैं। सिर्फ कांग्रेस और वाम दल अपने रुख पर अड़े हुए हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सरकार को बता दिया है कि विधेयक को उनका समर्थन तभी मिलेगा जब इस पर व्यापक स्तर सहमति बन जाएगी।

सत्तारूढ़ एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। उसके पास केवल 63 सांसद हैं जबकि बहुमत के लिए 245 सदस्यीय सदन में कम से कम 163 सदस्यों की सहमति जरूरी है। मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस में एक अहंकारी समूह है। इसी समूह की नासमझी ने जीएसटी पर भ्रम की स्थिति बनाई है। लेकिन हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में विधेयक पारित हो जाएगा।

नकवी ने कहा कि कांग्रेस भी जीएसटी के पक्ष में थी। उसकी एक ही मांग थी कि इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाए। यह मांग पूरी हो चुकी है। प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब कांग्रेस को अपना वादा पूरा करना चाहिए। नकवी ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि किसी की आक्रामकता को देश की तरक्की को रोकने वाला नहीं बनना चाहिए। देश के विकास के रास्ते में अड़चनें लगाना, आक्रामकता नहीं है। यह उन्हीं लोगों के खिलाफ जाएगी जो देश के विकास को रोक रहे हैं।

जीएसटी विधेयक एक संविधान संशोधन विधेयक है। इसे पारित कराने के लिए जरूरी है कि इसे संसद के दोनों सदनों में मौजूद सदस्यों का दो तिहाई बहुमत मिले। संविधान विशेषज्ञ और पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप ने कहा कि जीएसटी एक संविधान संशोधन विधेयक है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक या अध्यादेश के जरिए किसी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराया जा सके। इसे पास कराने का कोई और तरीका है ही नहीं।

जीएसटी को पारित कराने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने संसद के मॉनसून सत्र को समाप्त करने के बजाए इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित रखने का फैसला किया था। सूत्रों ने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र को फिर से बुलाया जाए या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि जीएसटी पर सहमति बनती है या नहीं।
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