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मणिपुर में सेना पर हमले के पीछे था चीन का हाथ

जनता जनार्दन डेस्क , Jul 18, 2015, 16:44 pm IST
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मणिपुर में सेना पर हमले के पीछे था चीन का हाथ नई दिल्ली: मणिपुर में 4 जून को सेना की टुकड़ी पर हुए घातक हमले के पीछे चीन की शह होने की आशंका जताई जा रही है। इस हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे।

हमले के पीछे के तार जोड़ने की कोशिश में जुटे जांचकर्ताओं को पूर्वोत्तर के विद्रोही गुटों के चीन की खुफिया एजेंसियों से संपर्क के बारे में और सबूत मिले हैं। याद रखने लायक बात यह है कि जनता जनार्दन की संपादकीय ने पहले ही इस बात की आशंका जता दी थी कि बिना चीनी मदद के भारतीय सेना  पर इतना बड़ा हमला नहीं किया जा सकता है.

मणिपुर के चंदेल जिले में सेना की टुकड़ी पर घात लगाकर किए गए इस हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि 11 अन्य घायल हुए थे। इसे सेना पर हाल के वर्षों में सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है।

यह हमला एनएससीएन (के) के उग्रवादियों द्वारा किया गया था और इसमें यूएनएलएफ जैसे विद्रोही गुट ने भी मदद की थी। समझा जाता है कि ये गुट चीन से शह प्राप्त संगठन यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ एशिया का अंग है।

नागालैंड आधारित एनएससीएन (के) के अलावा असम के यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडेंट या उल्फा (आई), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड-सोनबिजीत या एनडीएफबी (एस) और मणिपुर के Kanglei Yawol Kunna Lup या केवाईकेएल ये सब नए संगठन का हिस्सा हैं।

एनएससीएन(के) ने 4 जून को सेना पर हुए हमले से कुछ ही दिन पहले पुराने संघर्षविराम समझौते को तोड़ दिया था।

नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) के जांचकर्ताओं के मुताबिक, मणिपुर के विद्रोही गुट यूएनएलएफ के प्रमुख आरके मेघेन (R K Meghen) ने बताया कि उसका गुट 2008 से चीन के संपर्क में है। उसने यह भी बताया कि 2008 में काठमांडू में उसने चीन के एजेंट से मुलाकात की थी, जिसका कोड नाम एलेक्स था।

बाद में 2009 में चीन के दौरे के दौरान मेघेन को चीन की एक कंपनी Chengdu Source Management Consultancy Group ने आमंत्रित किया था। यूएनएलएफ के प्रमुख ने एनआईए को बताया कि उसने चीन में अन्य जगहों के अलावा सिचुआन यूनिवर्सिटी का भी दौरा किया था।

एक वरिष्ठ जांच अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा कि हमने अक्सर देखा है कि चीन की खुफिया एजेंसी कंपनियों को आगे रखकर काम करती है।

मेघेन ने जांचकर्ताओं को यह भी बताया कि एलेक्स ने 2009 में यूएनएलएफ को 2000 रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड्स बेचने का प्रस्ताव दिया था। इसकी डिलिवरी सिनो-म्यांमार बॉर्डर पर तय की गई थी।

इसके बाद चीन की खुफिया एजेंसी एक दूसरी निजी कपंनी Aye Kyi Kaung Co Ltd के जरिये यूएनएलएफ के संपर्क में रही। यह मीटिंग पश्चिमी हुनान के रुइली शहर में हुई। जांचकर्ताओं के मुताबिक, यहां चीनी एजेंसी ने यह जानने की कोशिश की पूर्वोत्तर में भारतीय सैनिकों और मिसाइलों की तैनाती कैसे हो रही है।

पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही गुटों को चीन के समर्थन के बारे में कुछ ऐसी ही जानकारियां  N Kitovi Zhimomi से हासिल हुई हैं, जो एनएससीएन (के) का वरिष्ठ सदस्य रह चुका है और म्यांमार के अपने बॉस एसएस खापलांग मतभेद के बाद अलग हो गया। कितोवी का ग्रुप भारत के साथ शांति वार्ता करने का इच्छुक है।

कितोवी ने एनडीटीवी से कहा कि यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ एशिया का निर्माण आखिरी और निर्णायक कदम था। मैं उन्हें जानता हूं और उनसे मिल भी चुका होता, लेकिन मैं उन्हें इसलिए पसंद नहीं करता, क्योंकि वे नगा मुद्दों  को लेकर कोई मदद नहीं कर सकते।

एनएससीएन(के) के पूर्व सदस्य ने जांचकर्ताओं को यह भी कहा कि खापलांग 2011 में ही संघर्षविराम तोड़ना चाहता था, लेकिन नगा समुदाय के दवाब में वह ऐसा नहीं कर सका। वह अपने ग्रुप के विभिन्न कामों को लेकर चीन जाता रहा था।
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