'दुष्कर्म के लिए सिर्फ भारत पर ही निशाना क्यों?'
जनता जनार्दन डेस्क ,
Apr 28, 2015, 15:16 pm IST
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नई दिल्ली: डेनमार्क की डिजाइनर-लेखिका इंगर सॉलबर्ग का कहना है कि दुष्कर्म के लिए सिर्फ भारत को ही निशाना क्यों बनाया जाए, जबकि इस तरह की घटनाएं तो दुनियाभर में होती है। सॉलबर्ग अपनी पहली पुस्तक "पुष्पा" के प्रचार में व्यस्त हैं, जिसमें भारत में उनके जीवन के अनुभवों को पेश किया है। वह पिछले 15 सालों से भारत में रह रही हैं।
सॉलबर्ग भारत और यहां के प्रत्येक भारतीयों से प्यार करती हैं। वह 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म पर आधारित बीबीसी के विवादास्पद वृत्तचित्र "इंडियाज डॉटर" के खिलाफ हैं। इस वृत्तचित्र को लेकर भारत में काफी हंगामा हुआ था और आखिरकार इसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सॉलबर्ग ने इस वृत्तचित्र के खिलाफ फेसबुक पर भी अपने विचार साझा किए हैं। सॉलबर्ग ने बताया कि यह घटना (16 दिसंबर सामूहिक दुष्कर्म) वास्तविक थी, लेकिन इस पर वृत्तचित्र बनाकर यह संदेश क्यों दिया जाए कि सभी भारतीय पुरूष दुष्कर्मी हैं, उनकी मानसिकता इस तरह की है? यह सच नहीं है। क्योंकि ये घटनाएं पूरी दुनिया में हो रही हैं। सॉलबर्ग ने कहा कि भारत को ही क्यों चुना गया? यहां बहुत सारे अच्छे लोग हैं, जो मदद करना चाहते हैं। यहां बहुत सारी अच्छी चीजें हो रही हैं। आखिर, क्यों ये हमेशा नकारात्मक पक्ष का ही चुनाव करते हैं? अच्छी प्रेरणात्मक कहानियां उठाइए और उन्हें दुनिया के सामने पेश कीजिए। सॉलबर्ग के मुताबिक, ""वह किशोरावस्था से ही भारत के प्रति अभिभूत है। मैं हमेशा भारत आने के सपने देखती थी। मैं यहां की संस्कृति, हिंदू धर्म, महात्मा गांधी के सिद्धांतों से आकर्षित थी और इसलिए मैंने इस देश में रहने का चुनाव किया। तलाक के दुखद दौर के बाद सॉलबर्ग भारत में बस गईं। इनका कहना है कि उनका जन्म नॉर्वे में हुआ था, लेकिन वह डेनमार्क में रहती थीं। वह भारत को सो रहे शेर से अलंकृत करते हुए कहती हैं कि वह सो रहे भारत से प्यार करती थीं, लेकिन अब यह शेर सो नहीं रहा है। यह जाग गया है और पूरी दुनिया में अपना जादू बिखेर रहा है। सॉलबर्ग का भारतीय प्रेमी उन्हें प्यार से पुष्पा कहकर संबोधित करता था और यहीं से पुष्पा को अपनी किताब का शीर्षक रखने की प्रेरणा मिली। कुछ सालों पहले उनके प्रेमी की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। सॉलबर्ग ने साक्षात्कार के दौरान बताया कि उसने मुझे पुष्पा नाम दिया। उन्होंने ही मुझे इस किताब को पूरा करने का प्रोत्साहन दिया। इस किताब को पूरा करने में मुझे साढ़े तीन साल लगे। पिछले सप्ताह इस किताब का विमोचन डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वैन ने किया। किताब की कहानी के बारे में उन्होंने कहा कि पुष्पा एक तलाकशुदा महिला की कहानी है, जो अपनी जिदंगी को नए सिरे से शुरू करने के लिए भारत आती है। यहां आकर वह देखती है कि जिंदगी में कुछ भी हो सकता है। आपको बस भगवान में विश्वास करने की जरूरत है। सॉलबर्ग कहती हैं कि एक बहुत बड़े भारतीय फिल्मकार को यह कहानी बहुत पसंद आई है। हालांकि मैं उसका नाम जाहिर नहीं करना चाहूंगी। उसने मुझे कहा है कि यह हॉलीवुड फिल्म "लव ईट और प्रे" से भी बेहतर फिल्म साबित होगी। वह इस कहानी पर एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म बनाना चाहते हैं। फिलहाल, सॉलबर्ग अपनी दूसरी किताब पर काम कर रही हैं, जो भारत पर ही आधारित होगी। |
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