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ड्रामेटिक जीवन, ड्रामेटिक विरोध

ड्रामेटिक जीवन, ड्रामेटिक विरोध नई दिल्ली: स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो की सोनिया गांधी की फिक्शनलाइज्ड जीवनी कई सालों के अघोषित प्रतिबंध के बाद अब प्रकाशित हुई है । द रेड साड़ी के नाम की इस किताब के प्रकाशन को लेकर कांग्रेस ने खूब हो हल्ला मचाया था । लेखक जेवियर मोरो को कानूनी धमकियां दी गई थी । कांग्रेस उस वक्त सत्ता में थी लिहाजा सोनिया गांधी की इस किताब को हमारे यहां प्रकाशित नहीं होने दिया गया । लगभग चार साल बाद अब स्थितियां बदल गई हैं ।

कांग्रेस सत्ता से बाहर है और जेवियरमोरो की किताब द रेड साड़ी को लेकर बवाल मचानेवाले कांग्रेसके नेता भी कमजोर हुए हैं । सवाल यह नहीं है कि कांग्रेस के नेता क्यों विरोध कर रहे थे । सवाल यह है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हो हल्ला मचानेवाली ब्रिगेड उस वक्त कहां थी । तमिल लेखक मुरुगन की किताब पर विरोध करनेवाले, वेंडी डोनिगर की किताब के प्रकाशक का उसको वापस लेने का फैसला करने पर छाती कूटनेवाले लोग उस वक्त कहां थे जब जेवियर मोरी की किताब को डरा धमका कर प्रकाशित होने से रोका गया था ।

सत्ता की हनक में तब भी अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगी थी । लेकिन विरोध का स्वर उतना तीव्र नहीं था जितने की अपेक्षा की जाती है । अभिव्यक्ति की आजादी की पक्षपातपूर्ण विरोध की यह घटना मिसाल है । अभी हाल में लेखक जेवियर मोरे ने माना है कि कांग्रेस पार्टी ने उसके किताब के खिलाफ एक अभियान चलाकर उसका प्रकाशन रोका गया था । उनके मुताबिक उस वक्त तो वो छह महीने तक अपने ईमेल अकाऊंट को खोलने से भी घबराते थे कि कहीं कोई कानूनी नोटिस तो नहीं आ रहा है ।

दो हजार दस में जेवियर मोरोइसको अंग्रेजी में प्रकाशित कर भारतीय बाजार के अलावा अन्य यूरोपीय देशों और अमेरिकाके बाजार में सोनिया गांधी के नाम को भुनाना चाहते थे । जेवियर मोरो की यह किताब अक्तूबर दो हजार आठ में स्पेनिश में छपी और बाद में इसका अनुवाद इटैलियन, फ्रैंच औरडच में किया गया । भारत में उठे विवाद के पहले के अनुमान के मुताबिक इसकी तीनलाख प्रतिया बिक चुकी थी ।

दरअसल स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो की ये किताब कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनियागांधी के जीवन पर आधारित है । लेखक मोरो का दावा है कि यह पूरी किताब सोनिया केबचपन से लेकर उनकी राजीव गांधी से मुलाकात और शादी से लेकर सास इंदिरा गांधी केसाथ बिताए दिनों के अलावा राजीव गांधी की हत्या का बाद सोनिया की मानसिकता काचित्रण करती है । दरअसल मोरो की इस किताब से इस बात के संकेत मिलते हैं किसोनिया गांधी अपने पति की हत्या के बाद भारत छोड़कर इटली जाना चाहती थी ।

मोरोकी किताब में इस तरह के संकेत हैं कि सोनिया गांधी के दिमाग में यह बात आई थी कि उस देश में क्यों रहना जो अपने ही बच्चों को खा जाता है । इस किताब में इस बात कीओर भी पर्याप्त इशारा किया गया है कि गांधी परिवार में राजीव की मौत के बाद इटली वापस लौट जाने पर चर्चा होती थी । हलांकि कई प्रसंगों में साफ है कि लेखक ने सोनियागांधी की जिंदगी के यथार्थवादी पहलुओं में अपनी कल्पना का तड़का लगाया है ।

जैसे एक जगह इस बात का जिक्र है कि रात के तीन बजे सोनिया ने राजीव को कहा कि देश मेंइमरजेंसी लगाने के ड्राफ्ट में उन्होंने इंदिरा गांधी की मदद की थी । मोरो लिखते हैं-सोनिया के पैदा होने पर लुजियाना के घरों में परंपरा के अनुसार गुलाबी रिबन बांधे गए ।चर्च ने सोनिया को नाम दिया एडविजे एनटोनियो अलबिना मैनो । लेकिन उनके पितास्टीफैनो ने उन्हें सोनिया नाम दिया । रूसी नाम रखकर वो उन रूसी परिवारों का शुक्रियाअदा करना चाहते थे जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उनकी जान बचाई थी ।

सोनिया केपिता स्टीफैनो, मुसोलिनी की सेना में थे जो रूसी सेना से पराजित हो गई थी । सोनियाजियोवेनो के कॉन्वेंट स्कूल में गई लेकिन उतनी ही पढाई की  जितनी की जरूरत थी ।यानि वो अच्छी विद्यार्थी नहीं थी लेकिन पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद वो हंसमुख औरदूसरों की मदद को तत्पर रहती थी । कफ और अस्थमा की शिकायत की वजह से वोबोर्डिंग स्कूल में अकेले सोती थी । आगे जाकर तूरीन में पढ़ाई के दौरान सोनिया के मन मेंएयर होस्टेस बनने का अरमान भी जगा था ले किन वो सपना जल्द ही बदल गया।
अनंत  विजय
अनंत  विजय लेखक अनंत विजय वरिष्ठ समालोचक, स्तंभकार व पत्रकार हैं, और देश भर की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत छपते रहते हैं। फिलहाल समाचार चैनल आई बी एन 7 से जुड़े हैं।