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'न्यू इंडिया इनिशिएटिव' ने जिनके काम को दिए नए शब्द

'न्यू इंडिया इनिशिएटिव' ने जिनके काम को दिए नए शब्द नई दिल्ली: मदद, सेवा, सहयोग, करुणा और संवेदना, हम सभी के अंदर के वे सकारात्मक गुण हैं, जिनके प्रभाव से हम एक बेहतर समाज के निर्माण की इच्छा रखते हैं, पर इस इच्छा को सचाई में बदल देने तक का सफ़र वाकई मुश्किल होता है. हमें लगता है कि सिर्फ हमारे बदलने से बदलाव नहीं आएगा, लेकिन सच तो यही है कि समाज उसमें शामिल हर एक इनसान के मिलने से ही बनता है... और यहां यह भी समझना बेहद ज़रूरी है कि समाज में किसी भी अच्छे या बुरे बदलाव के ज़िम्मेदार उस समाज को बनाने वाले लोग ही हैं.

तो समाज में किसी भी तरह का बदलाव देखने से पहले हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा. हमें विश्वास करना होगा कि हमारे बदलने से समाज में छोटा ही सही लेकिन बदलाव ज़रूर आएगा. और यही विश्वास आपको अपने आस पास के लोगों को दिलाना होगा और उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए प्रेरित करना होगा जिससे हम वाकई पूरे समाज में बदलाव ला सकें.

'स्वच्छ भारत' संगठन के  'न्यू इंडिया इनिशिएटिव' का मकसद लोगों की सोच में पॉजिटिव बदलाव लाना है. उन्हें यकीन दिलाना है कि सोच बदलने से आप न सिर्फ एक बेहतर इनसान बनते हैं बल्कि समाज में एक बड़ा बदलाव लाने में भी मदद करते हैं. हमारी कोशिश है कि खुद में बदलाव की यह पहल एक 'न्यू इंडिया' बनाए, एक ऐसा इंडिया, जिसका हिस्सा होने पर हम और आप, अपने आप पर, अपने समाज पर और अपने देश पर और भी ज्यादा गर्व महसूस करें.

खुद में बदलाव की इस पहल की शुरुआत का बस एक ही नियम है, अपनी ज़िम्मेदारी समझना. 'चलता है'  जैसे अपने नज़रिए को बदलना. फिर चाहे वह बिजली बचाने, पानी की बरबादी रोकने जैसा मुददा हो या फिर गरीब बच्चों को पढ़ाने, महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने, सबको शिक्षा, सबको स्वास्थ्य, सबको सम्मान जैसे मामलों में भागीदारी... हमें यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि हमारी इस पहल के साथ बहुत से लोग जुड़े हैं, जो अपने लेवल पर समाज में बदलाव लाने के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं. लिस्ट बहुत लम्बी है, लेकिन हम उन कुछ चुनिंदा लोगों के बारे में आपको यहां बता रहे हैं, जो 'न्यू इंडिया इनिशिएटिव' का हिस्सा बने और'न्यू इंडिया' के निर्माण में अपना सहयोग देने पर गर्व महसूस करते हैं.

वोट दें, बचें नहीं
शालू अवस्थी, उत्तर प्रदेश
लखनऊ की रहने वाली शालू अवस्थी एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में जॉब करती हैं. जिस उम्र में लोग अपने अलावा दूसरी तरफ देखते नहीं, उस उम्र में भी शालू समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह से समझती हैं. उन्होंने लोक सभा चुनाव के दौरान लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित किया, खासकर युवा वर्ग को. उनका मानना है कि मतदाता पहचान-पत्र सिर्फ एक पहचान-पत्र नहीं बल्कि लोकतंत्र में अपनी पॉवर दिखाने का बड़ा हथियार है. और इसी के चलते उन्होंने अलग-अलग कॉलेज और इंस्टिट्यूट में जाकर 18 साल और उससे बड़े युवाओं को वोट देने की अहमियत को समझाया. न्यू इंडिया ने अपने अप्रैल अंक में उनके इस काम को जगह देकर समाज सेवा में उनकी भागीदारी को सलाम किया.

हरियाली आपके साथ
संजीत कुमार, उत्तर प्रदेश
संजीत एक नामी-गिरामी आईटी कंपनी में काम करते हैं और इनका जॉब प्रोफाइल कुछ ऐसा है, जिसमें वह बहुत बिजी रहते हैं. इन्हें हरियाली बहुत पसंद है, इसीलिए अपने खाली समय को वह नेचर के बीच बिताना पसंद करते हैं. लेकिन घटती हरियाली और लगातार कटते पेड़ इनके इस शौक को जिंदा रख पाएंगे, इसे लेकर खुद इन्हें भी भरोसा नहीं था. न्यू इंडिया इनिशिएटिव के बारे में पता लगने के बाद और हमारी टीम से कंसल्ट करने के बाद संजीत ने हर सन्डे को 10 पेड़ लगाना शुरू किया और आस पास रह रहे लोगों से उनकी थोड़ी देखभाल करने को कहा. अब संजीत नेचर के साथ वक़्त तो बिताते ही हैं, साथ ही पर्यावरण को हरा रखने में भी मदद कर रहे हैं. न्यू इंडिया ने अपने जून अंक में उनके इस काम को जगह देकर प्रकृति की सुरक्षा में उनकी भागीदारी को सलाम किया.

कार-पूल है कुल
सचिन दुआ, स्टूडेंट, दिल्ली
सचिन ग्रेजुएशन कर रहे हैं और इनका कॉलेज इनके घर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है. सचिन कार से कॉलेज आते जाते हैं. युवा सचिन भी देश के लिए कुछ करना चाहते थे. सचिन भी न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा बने और इन्होंने अपने एरिया में रहने वाले उन स्टूडेंट्स से बात की, जो उन्हीं के कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे. सचिन ने 3 स्टूडेंट्स को इस बात के लिए मनाया कि वे कॉलेज जाने ले लिए कार पूल करेंगे, जिससे वे सब न सिर्फ पेट्रोल का पैसा बचाएंगे, बल्कि ट्रैफिक और पॉल्यूशन कम करने में भी मदद कर पाएंगे. सचिन जैसे युवाओं का मनोबल बढाने के लिए न्यू इंडिया ने अपने जून उनके इस काम को जगह देकर ट्रैफिक और शहर की आबोहवा में योगदान करने की उनकी कोशिश को सलाम किया.

पानी बचाएं, करें वाटर हार्वेस्टिंग
अनीता अग्रवाल, होममेकर, गुजरात
पानी की कमी को समझकर अनीता अग्रवाल ने संकल्प लिया कि वह खुद तो कभी पानी की एक बूंद भी वेस्ट नहीं होने देंगी, साथ ही साथ दूसरों को भी पानी की बचत के लिए प्रेरित करेंगी. अपनी इसी सोच के चलते उन्होंने बारिश का पानी बचाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया. साथ ही उन्होंने अपने आस पास के लोगों को पानी को समझदारी से इस्तेमाल करने और बारिश के पानी को बचाने के तरीके भी बताए. आज अनीता जी न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा हैं. न्यू इंडिया ने अपने जून अंक में पानी बचाने को लेकर अनीता जी द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर वाटर कन्जर्वेशन की उनकी कोशिशों को सलाम किया.

बेटियों के हक में...
प्रिया अग्रवाल, होममेकर, महाराष्ट्र
प्रिया हमेशा से ही बेटा बेटी में फर्क करने वाले लोगों से नाखुश रहती थीं. उन्हें हमेशा से ही यह बात परेशान करती थी कि जिस चीज़ पर इनसान का बस ही नहीं चलता, उसके लिए क्यों लोग इतना परेशान होते हैं. प्रिया ने जब अपनी यह सोच हमारी टीम के साथ बांटी और न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा बनने में अपनी रूचि दिखाई. तब हमारी टीम ने उन्हें अपनी इसी सोच को अपना इनिशिएटिव बनाने का सुझाव दिया. आज प्रिया कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही हैं और कोशिश कर रही हैं कि लोग बेटा बेटी के बीच के

फर्क को मिटा सकें. न्यू इंडिया ने अपने जुलाई अंक में प्रिया द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर न केवल उनकी हिम्मत बढाई बल्कि उनकी कोशिशों को पब्लिश कर दूसरों को भी इस तरह की पहल करने के लिए प्रेरित किया.

शिक्षा का दान ही महादान
प्रीती शर्मा, होम मेकर, मध्य प्रदेश
प्रीती शर्मा न सिर्फ खुद न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा हैं बल्कि इन्होंने अपने अपार्टमेंट की और भी महिलाओं को न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा बनाया. उन्होंने अपने अपार्टमेंट की महिलाओं के साथ मिलकर गरीब बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया. ये सभी महिलाएं मिलकर लगभग 20 बच्चों की पढ़ाई और परवरिश का खर्चा उठाने के साथ उन्हें पढ़ाती भी हैं. न्यू इंडिया ने अपने अगस्त अंक में प्रीती शर्मा द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर उनकी कोशिशों को सलाम किया.

गो ग्रीन
दीपक गौर, इवेंट मैनेजर, हरियाणा
दीपक एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और इवेंट्स की फील्ड से जुडे होने की वजह से बहुत ज्यादा बिजी रहते हैं. लेकिन पर्यावरण संरक्षण की चाह में उन्होंने अपनी बिजी लाइफ के बीच भी अभियान चलाकर एक मिसाल कायम कर दी. दीपक को जब भी मौका मिलता है, वह मॉल और पब्लिक प्लेस पर जाकर लोगों को एक छोटा सा पेड़ गिफ्ट करते हैं और उसे अपने घर में लगाने की सलाह देते हैं. इसी के साथ वह लोगों को पेड़ गिफ्ट करने के लिए भी प्रेरित करते हैं. दीपक अब तक लगभग 3500 पेड़ गिफ्ट कर चुके हैं.

न्यू इंडिया ने अपने सितंबर अंक में दीपक द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर न केवल उनकी हिम्मत बढाई बल्कि उनकी कोशिशों को पब्लिश कर दूसरों को भी इस तरह की पहल से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.

एक कदम बढाइए तो सही..
अभिषेक कुमार चंचल, छात्र, बिहार
अभिषेक बिहार के रहने वाले हैं और अपने एक रिश्तेदार से मिलने राजस्थान गए थे. जहां उन्हें पता चला कि वहां एक स्कूल के बच्चों को पीने का पानी नहीं मिलता और पानी पीने के लिए वह दूर एक खेत में जाते थे. अभिषेक ने बच्चों को इस परेशानी से छुटकारा दिलाने का मन बनाया. उन्होंने गांव के लोगों के साथ मिलकर प्रशासन पर बार-बार इतना दवाब डाला कि 4-5 बार उनकी अर्जी को रिजेक्ट करने के बाद आख़िरकार प्रशासन ने स्कूल में तो पानी का इन्तजाम किया ही, साथ ही पूरे गांव की पानी की समस्या को गंभीरता से लिया. आज अभिषेक न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा हैं और गांव के बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करते हैं. न्यू इंडिया ने अपने अक्टूबर अंक में अभिषेक कुमार द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर उनकी कोशिशों को सलाम किया.

40 बच्चों की मां
अनीता बहल, होम मेकर, हिमाचल
अनीता बहल ने जिस जिम्मेदारी को उठाने का बीड़ा उठाया है, वह आज के दौर में सबको आश्चर्य में डालने वाला है. अनीता बहल ने 40 अनाथ बच्चों का रहना, खाना पीना, पढ़ाई और पूरी परवरिश का जिम्मा उठाया है. उनके लिए यह करना आसान नहीं था. इसमें जिस तरह के खर्चे की ज़रुरत थी, उसे जुटाना हर किसी के बस की बात नहीं है. लेकिन अनीता जी ने हिम्मत नहीं हारी, वह लगी रहीं और आज उनके इस नेक काम में उनकी सोसाइटी वाले भी उनके साथ हैं. उनके इस जज्बे की हम तहे दिल से सराहना करते हैं और उनके न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा होने पर गर्व महसूस करते हैं. न्यू इंडिया ने अपने नवंबर अंक में अनीता बहल जी द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर उनकी कोशिशों को सलाम तो किया ही दूसरों को भी इस तरह की पहल करने के लिए प्रेरित किया.

डर के आगे जीत
यतीन्द्र कुमार, टीचर, उत्तर प्रदेश
यतीन्द्र कुमार ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद लचर है, वहां न केवल वन माफिया के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि अपने उद्देश्य में सफलता भी पाई. यतीन्द्र जिस इलाके में रहते हैं, वहां धीरे-धीरे पेड़ ख़त्म होते जा रहे थे. इस बात को लेकर सबको चिंता ज़रूर थी, पर कोई भी सामने आकर वन माफियाओं से कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था. लेकिन यतीन्द्र ने न केवल वन माफिया से लोहा लिया, बल्कि जब तक इस पर कुछ एक्शन नहीं हुआ लगातार प्रशासन के साथ संपर्क भी रखा. यतीन्द्र भी चोरी होते देखकर चुप रह सकते थे. पर उन्होंने गलत के खिलाफ आवाज उठाई और अपने इलाके को वन माफिया से मुक्त कराने की हर कोशिश कर रहे हैं. हमें फक्र है कि यतीन्द्र न्यू इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा हैं. न्यू इंडिया ने अपने दिसंबर अंक में यतीन्द्र कुमार द्वारा किए जा रहे काम को जगह देकर उनकी कोशिशों को सलाम किया.

'न्यू इंडिया' तहे दिल से उनके इस कदम की सराहना करता है. आपकी भी कोई कोशिश अच्छाई की तरफ एक कदम बढाने के लिए दूसरों को प्रेरित कर सकती है. आप अपने इस तरह के प्रयास, अपनी मुहीम के बारे में लिखकर फोटोग्राफ्स के साथ हमें भेजें. हम चुनी हुई मुहीम कोके साथ-साथ हिन्दी और अंग्रेजी की अपनी सहयोगी समाचार वेबसाइट  www.jantajanardan.com औरwww.facenfacts.com में भी प्रकाशित करेंगें. हमारा पता हैः

* आप न्यू इंडिया इनिशिएटिव के इन प्रेरक प्रसंगों को हमारी सहयोगी पत्रिका 'न्यू इंडिया'  के जनवरी अंक में भी पढ़ सकते हैं.
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