'स्वच्छ भारत' ने साल 2014 में कायम की सेवा की मिसाल
श्रेष्ठ गुप्ता ,
Jan 07, 2015, 15:41 pm IST
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दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं उसकी शुरुआत आपको खुद से करनी होगी– महात्मा गांधी. 'स्वच्छ भारत' देश, समाज और मानवता की तरक्की के लिए समर्पित एक स्वयंसेवी सामाजिक संगठन है,जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता लाकर एक बेहतर कल का निर्माण करना है. असल में स्वच्छ भारत का निर्माण तभी संभव है, जब हम तन और मन दोनों की स्वच्छता पर काम करेंगे. इसके लिए हमें न सिर्फ अपने आसपास के वातावरण को साफ़ रखने की ज़रुरत है, बल्कि यह भी समझने की ज़रुरत है कि भारत में फैली मानसिक गंदगी कैसे दूर हो. स्वच्छ भारत का मकसद सिर्फ लोगों को गंदगी हटाने के लिए प्रेरित करना नहीं है, इसका मकसद लोगों में इतनी जागरूकता लाना है कि गंदगी हो ही न. फिर चाहे वह गंदगी कूड़े के रूप में हो या फिर दिमाग में नकारात्मक सोच के रूप में.स्वच्छ भारत संगठन का उद्देश्य वैचारिक, आध्यात्मिक और मानसिक स्वच्छता और शांति लाना है और यह तभी संभव है, जब लोगों में करुणा का भाव हो. दिमाग से अमीरी, गरीबी और जातिवाद जैसी असमानता बाहर निकले. हम जानते हैं कि किसी को खाना खिलाने से, या ठंड में कपड़े बांट देने से हम किसी की भी मदद लम्बे समय तक नहीं कर सकते. लेकिन उनका कल बेहतर हो सके, उसके लिए हम ज़रूर कोशिश कर सकते हैं. हम अगर चाहें तो ऐसे भारत का निर्माण ज़रूर कर सकते हैं, जिस पर आप वाकई गर्व महसूस कर सकें. स्वच्छ भारत संगठन के ज़रीए हमारी कोशिश यही है कि हममें से हर व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी ज़रूर समझे और किसी भी बेहतर काम की शुरुआत खुद से करें.
स्वच्छ भारत संगठन पिछले तीन सालों से इसी दिशा में जुटा है. यह संगठन आप सभी से आग्रह करता है कि आप भी आगे आएं और चलें हमारे साथ स्वच्छ भारत के सफ़र पर...समाज को एक बेहतर कल देने के हमारे प्रयासों में अपना योगदान दें. .2014 किए गए हमारे प्रयास की कुछ झलक: जनवरी: ऐसे लोग जिनके लिए दाल 'येल्लो' या 'ब्लैक' नहीं होती और जिनके लिए रोटी के हर टुकड़े की कीमत इनके वजूद को कायम रखने के लिए हर दिन की जद्दोजेहद होती है, नोएडा में कुछ ऐसे ही लोगों और बच्चों को 'स्वच्छ भारत' ने घूम-घूम कर खाना बांटा. एक बार खाना बांटने से हम उनकी हमेशा की भूख ख़त्म तो नहीं कर सकते थे, लेकिन समाज के एक बड़े हिस्से को आगे आकर अपने स्तर पर वंचित तबके के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित ज़रूर कर सकते हैं. इसी तरह कडाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर लोगों को 'स्वच्छ भारत' ने रात के समय कम्बल बांटे. इस एक्टिविटी को भी नोएडा में अंजाम दिया गया. फरवरी: भयानक ठंड और शीतलहर झेल रही राजधानी में एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जिसके तन पर ठीक से एक जोड़ी ऊनी कपड़े भी नहीं हैं. ऐसे में 'स्वच्छ भारत' ने इस माह राजधानी और एनसीआर के क्षेत्रों में ऊनी कपड़ों का वितरण किया. 'स्वच्छ भारत' का मानना है कि एक स्वच्छ भारत का निर्माण तभी संभव है, जब हम सभी अपने-अपने स्तर से समाज के वंचित तबके के दर्द को भी समझेंगे और सच्चे दिल से आगे बढ़कर न केवल उनकी मदद करेंगे बल्कि उन्हें गले भी लगाएंगे. मार्च: भगवान शिव की आस्था के त्योहार शिवरात्रि पर कांवड़ियों के लिए स्वच्छ भारत ने एनएच- 74 पर विश्राम शिविर का आयोजन किया. जहां उनके लिए खाने की व्यवस्था के साथ-साथ उनके विश्राम के लिए रजाई व गद्दों की भी व्यवस्था की गई. लगातार पैदल यात्रा कर रहे कांवड़ियों के लिए प्राथमिक चिकित्सा के साधनभी उपलब्ध कराये गए थे. इस एक्टिविटी को लोगों में एक-दूसरे के लिए सेवाभाव बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया. अप्रैल: शिक्षा के बगैर सब कुछ अधूरा है. अशिक्षा समाज को आगे नहीं बढ़ने देती. जिस देश में 18 मिलियन से ज्यादा स्ट्रीट चिल्ड्रन हों, वह देश कैसे आगे बढ़ेगा. इसी बात की महत्ता को समझते हुए स्वच्छ भारत ने तय किया कि कचरे की जगह इन बच्चों के हाथों में किताबें होंगी. हर रविवार को नोएडा में ऐसे बच्चों के लिए अस्थाई क्लासेज चलाना शुरू किया गया, जो आज भी सफलतापूर्वक चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा. मई: जून: कहते हैं बूंद-बूंद से घड़ा भरता है. बारिश के पानी की अहमियत को समझते हुए स्वच्छ भारत ने दिल्ली के पूर्वी इलाके में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जानकारी देने के लिए कैंप लगाया और एक्सपर्ट्स के माध्यम से लोगों को इस गंभीर विषय पर जागरूक किया. इस एक्टिविटी का मकसद लोगों को पानी की लगातार बढ़ रही किल्लत से अवगत कराना था और साथ ही उनकी भागीदारी जल संचय में कितना बड़ा योगदान कर सकती है, इसे बताना भी था. जुलाई: स्वच्छ भारत ने इस महीने एक बार फिर साफ-सफाई के महत्त्व पर जोर दिया और दिल्ली के आसपास के कुछ गांवों में लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया. उन्हें बताया कि बीमारी की असली जड़ गंदगी है और अपने आप को और अपने आसपास के इलाकों को साफ़ रखना कितना ज़रूरी है. एक्सपर्ट्स ने लोगों को स्वच्छता के महत्त्व को समझाया और शरीर की साफ़-सफाई के बारे में जागरूक किया. अगस्त: बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हर साल लाखों लोग अमरनाथ जाते हैं, लेकिन उसमें से कुछ श्रद्धालू वापस नहीं आते और उनकी मौत की खबर आती है. अमरनाथ श्राइन बोर्ड की उत्तम व्यवस्था के बावजूद कई भक्तों की मौत हो जाती है. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर से अमरनाथ जाने वाले यात्रियों को कम तापमान में खुद को ठीक रखने के तरीके बताए और साथ ही फर्स्ट एड की सुविधा मुहैया कराई. सितंबर: स्वच्छ भारत ने बुजुर्गों में बीमारियों की जांच के लिए हरियाणा के पलवल, उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद, नूह और धामपुर के कुछ पैथलैब से समझौता कर बुजुर्गों की बीमारी की जांच के लिए कैंप लगाया. नाममात्र के शुल्क पर जांच कराने की शुरुआत के साथ ही हफ्ते में एक दिन मुफ्त में पूरी जांच और मुफ्त फिजियोथेरेपी की सुविधा का भी इंतजाम किया. अक्टूबर: कश्मीर में आई बाढ़ रोगटें खड़े कर देने वाली थी. वहां के लोग जिन हालात से गुज़र रहे थे, उसको एक दम से पलट देना किसी के बस में नहीं था. लेकिन आगे आकर हम उनके लिए जो कर सकें, उसे करना ही हमारा असली फ़र्ज़ था. इसी कड़ी में स्वच्छ भारत ने दिल्ली और एनसीआर में कैंप लगाकर लोगों को आगे आकर कश्मीर के लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित किया. संगठन ने कपड़े, राशन और रोज़मर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं को पीड़ितों तक पहुंचाया. नवंबर: देश को साफ-सुथरा रखने का प्रयास हम स्वच्छ भारत संगठन की शुरुआत से ही कर रहे थे, उसे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का भी सहारा मिला, तो संगठन से जुड़े हर सदस्य ने और जोर-शोर से सफाई अभियान चलाया. दिल्ली की तमाम गलियों में कैंप लगाकर लोगों को सफाई का महत्त्व समझाया साथ ही उन इलाकों में सफाई भी करवाई. दिसंबर: सर्दियों की शुरुआत होते ही स्वच्छ भारत संगठन ने दिल्ली और नोएडा के कई इलाकों में गरीबों को ऊनी कपडे बांटें और कैंप लगाकर लोगों से आगे आकर अपने पुराने कपडे डोनेट करने के लिए आग्रह किया. साथ ही इस बात के लिए भी प्रेरित किया कि जो लोग सीधे तौर ज़रूरतमंदों की मदद कर सकते हैं ज़रूर करें. संगठन के सदस्यों ने लोगों से जुटाए कपड़ों को फुटपाथ और गरीबों की बस्ती में जाकर बांटा. देश में पड़ रही कड़ाके की ठंड से ठिठुरते लोगों के दर्द को अपना मानकर न केवल सामने बढ़कर खुद से उनकी मदद की बल्कि कैंप लगा कर और दिल्ली के कुछ स्लॅम्स एरिया में जा कर गरम कपड़े बांटे. साथ ही लोगों से भी ठंड से ठिठुर रहे लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ने की अपील की. |
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