सुन भइ साधो
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jul 18, 2013, 17:05 pm IST
Keywords: महाकवि सूरदास व्यक्तित्व पात्रीय नाटक की प्रस्तुति हिन्दी अकादमी हिन्दी साहित्य चार दिवसीय कार्यक्रमों का उद्घाटन जीवन पर आधारित पात्रीय नाट्य प्रस्तुति Poet Surdas Personality Patriy Presentation Of Drama Hindi Academy Hindi Literature Opening Four-Day Based On The Life Theatrical Presentation Patriy
नई दिल्ली: महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व और कवित्व पर आधारित एक पात्रीय नाटक की प्रस्तुति हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा दिल्ली सैलीब्रेट कार्यक्रमों की कड़ी में हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन कवियों के व्यक्तित्व एवं कवित्व पर आधारित चार दिवसीय कार्यक्रमों का उद्घाटन भक्तकवि सूरदास के जीवन पर आधारित एक पात्रीय नाट्य प्रस्तुति से हुआ।
यह प्रस्तुति जाने-माने लेखक, निर्देशन, संगीतकार, गायक एवं अभिनेता श्री शेखर सेन ने फिक्की सभागार, तानसेन मार्ग, मंडी हाउस, नयी दिल्ली में की।कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए हिन्दी अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. अशोक चक्रधर ने कहा कि अकादमी राजधानी दिल्ली में साहित्यिक और सांस्कृतिक वातावरण पैदा करने के उद्देश्य से अनेक नवीनतम कार्यक्रमों में तेजी से वृद्धि कर रही है। उन्होंने श्री शेखर सेन की अद्भुत प्रतिभा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व में संगीत, नाटक, साहित्य और भाषा अकादमियां एक साथ आकार पाती हैं। उनको संगीत विरासत में मिला। प्रस्तुति का प्रारम्भ सूरदास के पद ‘अंखिया हरिदर्सन को प्यासी’ के गायन से हुआ। कृष्ण भक्तिधारा के शीर्षस्थ कवि सूरदास के जीवन पर आधारित एक पात्रीय संगीतमय नाटक प्रस्तुति में उनके जीवन के बाल्यकाल से लेकर किशोर, युवा और वृद्धावस्था के तक का जीवनंत चित्र खींचा गया। उनके बाल्यकाल का संघर्ष, श्याम सखा का संग और उस काल की अनेक विभूतियों से उनके समागम के दृश्य इस एक पात्रीय नाट्य प्रस्तुति को गति प्रदान करते हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य से दीक्षा, स्वामी हरिदास, अकबर, तानसेन, मीरा व गोस्वामी तुलसीदास जैसी विभूतियों से उनके मिलन को संजोता यह नाटक 34 सांगितिक प्रसंगों से सुसज्जित है, जिनमें उस समय गाए जाने वाले राग-रागिनियों का प्रयोग इस प्रस्तुति को और भी गरिमा प्रदान करता है। दो घंटे की अवधि में महाकवि सूरदास के 105 वर्षीय जीवन को समाहित करने का प्रयास किया गया है। भाव विहल करने वाली इस प्रस्तुति में कला निर्देशन था श्री पथिकृत मुखर्जी का। प्रकाश निर्देशन और संचालन श्री पंकज मंग का था। साउंड आपरेट कर रहे थे श्री अशोक कुमार। निर्माण व्यवस्था थी श्री नटराज मिश्रा और श्री माधव चैरसिया की। संगीत आपरेट कर रहे थे श्री नीतेश कुमार शुक्ला।कार्यक्रम के अंत में हिन्दी अकादमी के सचिव डा. हरिसुमन बिष्ट ने सभी अतिथियों और कलाकारों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम सम्पन्न किया। |
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