55 साल पहले भारत आए थे ओबामा के आदर्श किंग
सरोज कुमार ,
Feb 10, 2013, 12:36 pm IST
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नई दिल्ली: ऐसे समय में जब अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दूसरे कार्यकाल की शपथ मार्टिन लूथर किंग की बाइबल के साथ ली है, गांधी स्मारक निधि ने यहां किंग की भारत यात्रा के 55वें वर्ष के उपलक्ष्य में एक विशेष स्मारिक जारी की है।
ज्ञात हो कि अमेरिकी मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. मार्टिन लूथर किंग ने वर्ष 1959 में राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि के निमंत्रण पर ही भारत की यात्रा की थी। वह 10 फरवरी को यहां पहुंचे थे, और एक महीने तक उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया था। किंग की इस यात्रा का पूरा खर्च, आज लगभग बुरी हालत से गुजर रही प्रमुख गांधीवादी संस्था, गांधी स्मारक निधि ने ही उठाया था। निधि ने एक बार फिर किंग की भारत यात्रा के 55वें वर्ष को विशेष महत्व देते हुए 'विद द किंग इन इंडिया' शीर्षक वाली एक विशेष स्मारिका प्रकाशित की है। यद्यपि यह स्मारिका किंग की यात्रा समाप्त होने के तत्काल बाद प्रकाशित विशेष रपट का एक तरह से पुनर्प्रकाशन है, लेकिन निधि इस कदम को आज कहीं अधिक प्रासंगिक मानती है। गांधी निधि के मंत्री, वयोवृद्ध गांधीवादी रामचंद्र राही ने कहा, "गांधी स्मारक निधि ने डॉ. (मार्टिन लूथर) किंग को इसलिए भारत का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया था, क्योंकि उस समय वह अमेरिका में सामाजिक गैरबराबरी और नस्लवाद के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। हमारा समाज भी इन बुराइयों से जूझ रहा था। इस समय देश और दुनिया में काफी कुछ बदलाव हुआ है। इसका एक जीवंत उदाहरण अमेरिका में एक अफ्रीकी मूल के अमेरिकी व्यक्ति (बराक ओबामा) का फिर से राष्ट्रपति निर्वाचित होना है। यह वही देश है, जहां सामाजिक गैर बराबरी और नस्लवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के कारण डॉ. किंग की हत्या कर दी गई थी। ठीक उसी तरह जिस तरह महात्मा गांधी की हत्या हमारे देश में हुई थी। ऐसे समय में किंग के अहिंसक संघर्षो को याद करना आज कहीं अधिक प्रासंगिक है।" राही ने आगे कहा, "महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया। किंग ने इसे अमेरिका की धरती पर उतारा। आज पूरी दुनिया महात्मा के इस मार्ग को मानने के लिए मजबूर हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने गांधी जयंती, दो अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है। " राही ने कहा, "दरअसल, अहिंसा का प्रकाश आज की हिंसा के अंधेरे में लुप्त नहीं होने वाला है। बल्कि यह इस अंधेरे को प्रकाशमान बनाता है, एक नई मानव चेतना को जगाता है। हमें अहिंसा की इस रोशनी को बनाए रखने की कोशिश में लगे रहना हमेशा प्रासंगिक लगता है।" ज्ञात हो कि किंग ने अमेरिका में अहिंसा के जिस दिए को दशकों पूर्व जलाया था, आज उसकी रोशनी ओबामा के रूप में प्रकाशमान हुई है। यही कारण है कि ओबामा ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेते समय किंग और अब्राहम लिंकन की बाइबल का इस्तेमाल किया था। ओबामा ने 21 जनवरी, 2013 को शपथ ग्रहण के दौरान कहा था, "अमेरिका के इतिहास में दर्ज जिन दो हस्तियों ने मुझे यहां सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वे हैं डॉ. किंग और राष्ट्रपति लिंकन। इसलिए इन दोनों महापुरुषों की बाइबल के साथ शपथ लेना मेरे लिए एक बड़ा अवसर है।" किंग भी अपनी भारत यात्रा के बाद इतने अभिभूत हुए थे कि यात्रा के समापन दिन, नौ मार्च, 1959 को गांधी स्मारक निधि में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा था, "सर्वप्रथम, हमें ऐसा लगता है कि जितना लोग समझते हैं, गांधी की भावना उससे बहुत अधिक मजबूत है।" किंग, 10 फरवरी, 1959 को अपनी पत्नी कोरेटा स्कॉट किग के साथ दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर उतरे थे। गांधी निधि के तत्कालीन मंत्री जी. रामचंद्रन और सुचेता कृपालानी ने हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की थी। किंग ने एक महीने तक देश भ्रमण किया था। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सहित तमाम नेताओं तथा ग्रामीण समाज के लगभग हर तबके से मुलाकात की थी। वह 10 मार्च को वापस अमेरिका लौट गए थे। किंग उन दिनों अमेरिका में नस्लवाद और गैरबराबरी के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। किंग की यह भारत यात्रा गांधी स्मारक निधि के निमंत्रण पर थी, और निधि ने उनकी यात्रा का पूरा खर्च उठाया था। लेकिन देश की यह प्रमुख गांधीवादी संस्था आज अपने खर्च उठा पाने में असहाय साबित हो रही है और सरकार इस दिशा में पूरी तरह असहिष्णु बनी हुई है। राही ने बताया कि गांधी स्मारक निधि की स्थापना गांधी जी के बाद उनके कार्यो को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रस्ताव के जरिए 1948 में हुई थी। संस्था के प्रथम अध्यक्ष तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे। नेहरू, मौलाना आजाद, राजकुमारी अमृत कौर जैसे लोग संस्था के संस्थापक न्यासियों में थे, लेकिन आज यह संस्था दयनीय दशा से गुजर रही है। |
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