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कल्पना की उड़ान, करे काम आसान

जनता जनार्दन संवाददाता , May 17, 2011, 16:51 pm IST
Keywords: Imagination   कल्पनाशीलता   Target   लक्ष्य   Achievement   उपलब्धि   Positive approach   सकारात्मक सोच   Towards Life     
फ़ॉन्ट साइज :
कल्पना की उड़ान, करे काम आसान नई दिल्ली: कल्पनाशीलता का सामान्य अर्थ किसी चीज का दृश्यांकन करना होता है। जब आप किसी कार्य को शुरू करना चाहते हैं तो पहले उसे दृश्यांकित कर लेते हैं उसके बाद ही वह दृश्य को, आपके चेतन मस्तिष्क को भेजता है। बिना इसके भी कुछ हासिल नहीं किया जा सकता।

इसके विपरीत होता है रिफ्लैक्स एक्शन। इस प्रक्रिया में बिना पहले से विचार किए हुए हमारा शरीर हरकत में आ जाता है। जब हमारे शरीर पर कहीं मच्छर बैठता है, तो इस रिफ्लैस एक्शन के चलते हाथ अनायास ही वहां पहुंच जाता है। लेकिन यह रिफ्लैक्स एक्शन अस्थायी होता है, लेकिन हम इसे अक्सर महसूस करते हैं। कई बार हम समस्याओं के समाधान में इसका भी उपयोग करते हैं लेकिन यह कोई स्थायी प्रभाव नहीं छोड़ता।

कल्पनाशीलता हमारे मुख्य तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) द्वारा किया जाने वाला कार्य है, जोकि हमारे मस्तिष्क का सबसे ज्यादा विकसित भाग है। काल्पनिक दृश्य में किसी भी समय सुधार की संभावना होती है। यही कारण है कि विजुअलाइजेशन (दृश्यांकन) को रिफ्लैक्स एक्शन से ज्यादा तीव्र माना जाता है।

हम एक समय में कई विचारों को दृश्यांकित करते हैं। किसी पर हम तुरंत कार्यान्वित होते हैं तो किसी को बाद में अमल में लाने की कोशिश करते हैं और कुछ सदा के लिए दम तोड़ देते हैं। हर आदमी में दृश्यांकन की प्रतिभा है, अन्यथा एक किसान जो पढ़ा-लिखा नहीं होता है, बादलों व हवा का रुख देखकर मौसम का पूर्वानुमान नहीं बता पाता।

कल्पनाशीलता मनुष्य का जन्मजात गुण मानी जाती है। कुछ लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो वे इसमें माहिर हो जाते हैं। कल्पनाशीलता से दृश्यांकन की क्षमता पैनी होती है जो आपको एक आधार उपलब्ध कराती है।

किसी समस्या का काल्पनिक समाधान इस पर निर्भर करता है कि आप कितने वास्तविक होकर सोचते हैं, जिसे हम आमतौर पर 'कॉमन सेंस' कहते हैं।

मूसलाधार बारिश में एक व्यक्ति कार से कहीं जा रहा था। एकाएक उसका बायां पहिया पंक्चर हो गया और उसने पहिया बदलने के लिए कार रोकी। उसने पंक्चर हुए पहिए के चारों स्क्रू निकाल दिए लेकिन अचानक ही वे सारे स्क्रू उसके हाथ से छूटकर पास बह रहे नाले में गिर गए। उसकी कार एक पागलखाने के सामने आकर खराब हुई थी और एक पागल खड़ा हुआ उसकी सारी गतिविधियों को बड़े ध्यान से देख रहा था।

वह रोगी उसके पास आया और बोला कि शेष तीनों पहियों से एक-एक स्क्रू निकाल कर इसमें लगा दो और अपनी यात्रा शुरू करो। वह आदमी हैरान रह गया कि इतना बुद्धिमान आदमी इस जगह कैसे हो सकता है। उस रोगी ने कहा कि यह सलाह मात्र एक कॉमन सेंस है और कुछ नहीं। कॉमन सेंस की अधिकता ही बुद्धिमत्ता कहलाती है।

इस कहानी में वह व्यक्ति न जाने कितने सालों से कार चलाता था। लेकिन विषम परिस्थिति आने पर वह उपाय को दृश्यांकित करना भूल गया। विषम परिस्थितियों में ऐसा ज्यादातर लोगों के साथ होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारा दिमाग नकारात्मक विचारों से भरा रहता है और हम अपने दिमाग में चीजों को सही तरीके से दृश्यांकित नहीं करते।

विषम परिस्थितियों में स्वयं को संयत रखने से आप सर्वोत्तम परिणाम पा सकते हैं। आप भले ही इस बात को मानें या न मानें लेकिन दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों में कल्पनाशीलता या दृश्यांकन की सबसे ज्यादा क्षमता होती है। वे मौसम के हालात का अनुमान लगाकर फसल की अग्रिम बुआई करते हैं। यहां तक कि जानवरों में भी इसकी अद्भुत क्षमता होती है और प्राकृतिक आपदा आने से पहले ही वे इसका अंदाजा लगा लेते हैं।

समझ आपकी जानकारी का नतीजा होती है न कि आपके सीखने की गति का परिणाम। हममें से कम ही लोग अपने विचारों पर अमल करते हैं, ज्यादातर लोग दूसरों की ही नकल करते हैं।

हम सफल लोगों की सफलता की कहानियां पढ़कर उन पर यकीन करके उनकी नकल करना शुरू कर देते हैं परंतु मूल तथ्य भूल जाते हैं कि एक ही आइडिया हमेशा काम नहीं कर सकता और यदि काम करता भी है तो उसका परिणाम एक जैसा नहीं होता।

हम रोजाना सैकड़ों विचारों को दफना देते हैं जो दृश्यांकन की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होते हैं। असफल होने के डर से हम उन्हें कार्यान्वित नहीं करते। मेरी किताब 'क्रेक द शेल दैट कवर्स यू' में मैंने इस विषय का विस्तार से जिक्र किया है। यह आपके विचारों से पैदा होने वाले भय से आपको मुक्त करती है।

# डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'खुद बदलें अपनी किस्मत' से साभार
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