![]() |
नाम बदलने से मतलब सिद्ध नहीं होगा
सत्यनारायण गोयनका ,
Dec 04, 2012, 13:00 pm IST
Keywords: Name Acharya religious name auspicious karma नाम आचार्य धार्मिक नाम मांगलिक कर्म
![]() आचार्य ने उसे समझाया कि नाम तो केवल प्रज्ञप्ति के लिए, व्यवहार-जगत में पुकारने के लिए होता है। नाम बदलने से कोई मतलब सिद्ध नहीं होगा। कोई पापक नाम रखकर भी सत्कर्मो से धार्मिक बन सकता है और धार्मिक नाम रहे तो भी दुष्कर्मो से कोई पापी बन सकता है। मुख्य बात तो कर्म की है। नाम बदलने से क्या होगा? पर वह नहीं माना। आग्रह करता ही रहा। तब आचार्य ने कहा, "अर्थ-सिद्ध तो कर्म के सुधारने से होगा, परंतु यदि तू नाम भी सुधारना चाहता है तो जा, गांव भर के लोगों को देख और जिसका नाम तुझे मांगलिक लगे, वह मुझे बता, तेरा नाम वैसा ही बदल दिया जायगा।" पापक सुंदर नामवालों की खोज में निकल पड़ा। घर से बाहर निकलते ही उसे शवयात्रा के दर्शन हुए। पूछा, "कौन है यह?" उत्तर मिला, "धनपाली।" पापक सोचने लगा नाम धनपाली और पैसे-पैसे को मोहताज! और आगे बढ़ा तो एक आदमी को लोगों से रास्ता पूछते पाया। नाम पूछा तो पता चला-पंथक। पापक फिर सोच में पड़ गया-अरे, पंथक भी पंथ पूछते हैं? पंथ भूलते हैं? पापक वापस लौट आया। अब नाम के प्रति उसका आकर्षक या विकर्षण दूर हो चुका था। बात समझ में आ गई थी। क्या पड़ा है नाम में? जीवक भी मरते हैं, अ-जीवक भी; धनपाली भी दरिद्र होती है, अधनपाली भी; पंथक राह भूलते हैं, अपंथक भी; जन्म का अंधा नाम नयनसुख; जन्म का दुखिया, नाम सदासुख! सचमुच नाम की थोथी महत्ता निर्थक ही है। रहे नाम पापक, मेरा क्या बिगड़ता है? मैं अपना कर्म सुधारूंगा। कर्म ही प्रमुख है, कर्म ही प्रधान है। (सस्ता साहित्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'हमारी बोध कथाएं' से साभार) |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|