'कल' में डोलता बॉलीवुड
जनता जनार्दन संवाददाता ,
May 05, 2012, 17:20 pm IST
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नई दिल्ली: बॉलीवुड अपनी फिल्मों में भूत और भविष्य में प्रवेश करता रहा है। उसकी कोई फिल्म 1910 की कहानी कहती है तो कोई 2050 में ले जाती है। आने वाली फिल्में 'तेरी मेरी कहानी' और 'डेंजरस इश्क' दशकों की कहानी प्रस्तुत करती हैं।
कुणाल कोहली की आने वाली फिल्म 'तेरी मेरी कहानी' में शाहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। इसमें तीन कालों 1910, 1960 और 2012 की कहानी है। हर कहानी का अपना अलग मिजाज है। फिल्मकार विक्रम भट्ट की 'डेंजरस इश्क' में भी ऐसी ही है। यह फिल्म 500 साल की कहानी पर्दे पर उतारेगी। कहानी पुनर्जन्म पर आधारित है और इसके सितारे रजनीश दुग्गल व करिश्मा कपूर अपने अलग-अलग जन्मों में अलग-अलग दिखेंगे। फिल्म इतिहासकार एस.एम.एम. ऑसाजा के मुताबिक एक लेखक का आकर्षक कहानी लिखने का विशेषाधिकार है। इसी तरह निर्देशक का काम छोटी-छोटी जानकारियां इकट्ठी करना है और संपादक का काम कहानी को इस तरह से प्रस्तुत करना है कि दर्शक खुद को उससे कटा हुआ महसूस न करें। ऑसाजा ने कहा, "मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्मों में सामग्री महत्वपूर्ण होती है। यदि एक निर्देशक कहानी को कम जटिल बनाएगा तो दर्शकों के लिए उसे ग्रहण करना आसान हो जाएगा। किसी भी प्रकार के भ्रम को पटकथा लिखने के दौरान दूर कर लिया जाता है। इसके अलावा बहुत कुछ चित्रण व कला निर्देशन पर निर्भर करता है। जब आपको फिल्म में कोई विशेष काल दिखाना होता है तो उसके लिए काफी शोध करना जरूरी होता है।" भट्ट की 'डेंजरस इश्क' 15वीं शताब्दी की कहानी प्रस्तुत करती है। वह कहते हैं कि हर काल के मुताबिक फिल्म को प्रामाणिक बनाने में टीम को काफी मेहनत करनी पड़ती है। भट्ट ने कहा, "हमने सेट्स, पोशाकों, बोली व उस काल के पसंदीदा रंगों पर काफी शोध किया। यदि हम ऐसा नहीं करते तो फिल्म प्रामाणिक नहीं लगती। इसलिए पोशाक, संवाद या रंगों से सम्बंधित सभी विभागों ने अपना अलग-अलग विस्तृत शोध किया।" बीते साल के दौरान आईं 'वीर जारा', 'बचना ए हसीनों', 'एक्शन रिप्ले', 'लव आज कल', 'मौसम', '7 खून माफ' और 'रॉकस्टार' कुछ ऐसी ही फिल्में हैं जो अपने वर्तमान से अलग काल की पृष्ठभूमियों में बुनी गई हैं। कोहली की फिल्म 'तेरी मेरी कहानी' 60 के दशक को लेकर उनके दृष्टिकोण व 1910 के काल को लेकर उनकी फंतासी की प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा, "60 के दौर के शोध के लिए फिल्मों के प्रति मेरा जुनून काम आया। मैंने शम्मी कपूर व राजकपूर की बहुत सी फिल्में देखी हैं। इसलिए उस दशक के प्रति मेरा दृष्टिकोण खुद ही विकसित हो गया जबकि 1910 का काल मेरे लिए पूरी तरह से फंतासी है।" पहले भी पुनर्जन्म पर आधारित कई फिल्में बन चुकी हैं। इनमें 'मधुमति', 'प्रेम', 'मिलन', 'कुदरत', 'करन अर्जुन' और 'ओम शांति ओम' शामिल हैं, जो अलग-अलग काल की कहानी प्रस्तुत करती हैं। |
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