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युवा वर्ग
ऐसा क्यों होता है कि हम दोस्तों की समस्याएं तो सुलझा लेते हैं, अपनी ? जनता जनार्दन डेस्क ,  Nov 01, 2017
ऐसा क्यों होता है कि हम दोस्तों की समस्याएं तो सुलझा लेते हैं, अपनी नहीं शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि हम अक्सर दूसरे लोगों की समस्याएं सुलझाने में तो सफल रहते हैं लेकिन अपनी खुद की समस्याओं का हल नहीं कर पाते ....  लेख पढ़ें
काव्या विग्नेश, 12 साल की बच्ची जिसने मधुमक्खियों के संरक्षण के लिए बनाया रोबोट जनता जनार्दन डेस्क ,  Apr 15, 2017
अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की ही तरह काव्या विग्नेश भी पढ़ाई से समय मिलते ही खेल-कूद में मशगूल हो जाती है। लेकिन यहीं वह दूसरे बच्चों से अलहदा भी हो जाती है, क्योंकि वह इस समय का उपयोग ऐसी चीजें बनाने में करती है, जिनसे मौजूदा समय की समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। ....  लेख पढ़ें
फेसबुक का अधिक इस्तेमाल, बरबाद कर रहा बच्चों का कल जनता जनार्दन संवाददाता ,  Aug 11, 2011
फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो बच्चे इन वेबसाइट्स का बार-बार इस्तेमाल करते हैं वे स्कूलों में कम अंक प्राप्त करते हैं। एक अमेरिकी शोध में यह बात सामने आई है। कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के ताजा शोध के मुताबिक ऐसे बच्चों में व्यवहार से जुड़ी समस्या भी आ सकती है। उनमें अहम जैसी प्रवृत्तियां भी पनप सकती हैं। ....  लेख पढ़ें
'फन एंड लर्न' रखेगा इंटरनेट सेवी बच्चों पर नजर जनता जनार्दन संवाददाता ,  Jul 22, 2011
अगर आपका बच्चा इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करता है और आपको आशंका है कि वह गलत साइट देखता है, मगर आप कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है जो आपको 'तीसरी नजर' देगा और इंटरनेट पर की जाने वाली बच्चे की हर हरकतों की जानकारी उपलब्ध कराएगा। ....  लेख पढ़ें
सफलता चाहिए तो काम करें जनता जनार्दन संवाददाता ,  May 26, 2011
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करने से पहले उस पर विस्तृत विचार-विमर्श करें। आपके कुछ कार्य बहुत अच्छे परिणाम और प्रभाव लाते हैं। आपका ध्यान उन चीजों को करने में होना चाहिए जिससे सबसे ज्यादा प्राप्ति हो। इस प्रकार आप अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं। 80-20 का नियम रखें, यह निरूपित करता है कि 20 प्रतिशत गतिविधि 80 प्रतिशत परिणाम लाती है। आप जो करते हैं उसके प्रति समर्पित रहना होगा। यह केवल आपके समर्पण का स्तर ही है जो आपकी सफलता की उम्मीद को बढ़ाता है। किसी की भी सफलता का सूचक उसके उद्देश्य के प्रति उसके समर्पण का स्तर होता है। हमेशा ध्यान रखें कि 'क्यों' सदैव 'कैसे' से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। समर्पण जिसमें उत्साह एवं इच्छाशक्ति दोनों शामिल होते हैं, किसी भी अन्य कमजोरी का ढक देते हैं। ....  लेख पढ़ें
कल्पना की उड़ान, करे काम आसान जनता जनार्दन संवाददाता ,  May 17, 2011
कल्पनाशीलता का सामान्य अर्थ किसी चीज का दृश्यांकन करना होता है। जब आप किसी कार्य को शुरू करना चाहते हैं तो पहले उसे दृश्यांकित कर लेते हैं उसके बाद ही वह दृश्य को, आपके चेतन मस्तिष्क को भेजता है। बिना इसके भी कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। ....  लेख पढ़ें
मौका मिले तो चूकिए मत जनता जनार्दन संवाददाता ,  Apr 30, 2011
जिंदगी में सफलता का राज यही है कि जब भी अवसर मिले तो उसे भुनाने को तत्पर रहें। बस यह विश्वास रखिए कि अगर आपमें दम है तो किसी भी हालात में कम या ज्यादा परिणाम आपको मिलेगा, लेकिन बाहरी ताकतें उसमें आपको प्रभावित नहीं करेंगी। ....  लेख पढ़ें
अपनी काबिलियत को जानें और आगे बढ़ें जनता जनार्दन संवाददाता ,  Apr 23, 2011
लक्ष्यहीन व्यक्ति वह होता है जिसे यह न पता हो कि उसके लिए किस प्रोफेशन में जाना बेहतर होगा। ऐसे लोग एक तरफ तो आईएएस की तैयारी करते हैं और दूसरी तरफ शॉर्टहैंड व टाइपराइटिंग का कोर्स भी करते रहते हैं कि कहीं अगर आईएएस में चयन नहीं हो पाया तो आजीविका का दूसरा विकल्प तो रहेगा। क्या आपको नहीं लगता कि दोनों कॅरियर विकल्पों में जमीन-आसमान का अंतर है? ....  लेख पढ़ें
क्यों कर रहा आज का युवा आत्महत्या ? जनता जनार्दन संवाददाता ,  Apr 09, 2011
आज के दौर में आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर टीनएजर्स और युवा शामिल हैं। लेकिन हमने कभी सोचा है कि क्यो आत्महत्याएं इतनी बढ रही है। कभी किसी स्कूल का छात्र तो कभी कोई मेडिकल स्टूडेंट कभी कोई शादीशुदा प्रेमी या प्रेमिका तो कभी कोई शादीशुदा महिला,कभी कर्ज से परेशान आदमी,तो कभी कोई किसान... कारण अलग-अलग,हालात अलग-अलग,पर घटना सिर्फ एक...किसी की मौत, आखिर कब रूकेगा ये सिलसिला और अब तो इसके सबसे ज्यादा शिकार स्टूडेंट व युवापीढी हो रहे हैं। ....  लेख पढ़ें
भारतीय युवा छुटि्टयों से वंचित! जनता जनार्दन संवाददाता ,  Apr 06, 2011
भारत में एक अध्ययन के अनुसार युवा पीढ़ी को एक साल में औसतन 22 छुटि्टयां ही मिल पाती हैं और इस तरह से देश के युवा छुटि्टयों से वंचित रहने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर हैं। अध्ययन में शामिल 35 प्रतिशत लोग तो एक साल में 15 से ज्यादा छुटि्टयों का लाभ नहीं उठा सके। ....  लेख पढ़ें
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