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प्रवासी संसार फाउंडेशन की हुई स्थापना

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 18, 2021, 18:22 pm IST
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प्रवासी संसार फाउंडेशन की हुई स्थापना
भारत की प्रवासी हिंदी साहित्य पर केंद्रित विचारपरक पत्रिका प्रवासी संसार के शुभचिंतक मित्रो द्वारा यह महसूस किया गया कि प्रवासियों के जीवन मे उनके साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक  योगदान पर अनुसंधान और उनकी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को रेखांकित करने के लिए एक ऐसी संस्था की आवश्यकता है जिसमें भारत और विदेशों में बसे भारतवंशी और प्रवासी भारतीय अपनी स्वेच्छा से उसके साथ जुड़ सके और प्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों को विश्व के सामने रख सके। इसी उद्देशय को ध्यान में रखते हुए प्रवासी संसार फाउंडेशन की स्थापना की गयी है। इस पहली बैठक में पत्रिका प्रकाशन के आरम्भ समय से जुड़े हुए अधिकांश मित्रो ने भाग लिया.
 
प्रवासी संसार फाउंडेशन प्रवासियों से जुड़े सभी मुद्दों पर परिचर्चा,गोष्ठी,शोध एवं अनुसंधान के माध्यम से  उनकी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में कार्य करेगी।  इसके शोध और अनुसंधान को सार्वजनिक मंचों और सरकारों के समक्ष प्रतिवेदनों के माध्यम से रखा जायेगा। यह प्रतिष्ठान प्रवासी साहित्य के सृजन , नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित करने एवं प्रवासी साहित्य के संरक्षण और प्रकाशन की दिशा में भी कार्य करेगा।  इस उद्देशय की पूर्ति हेतु  प्रतिष्ठान  भारत और विश्व भर में फैली अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगा। यह प्रवासी साहित्य में शोध कर रहे शोध कर्ताओं को विषय संबंधी  सहायता भी प्रदान करेगा।
 
प्रतिष्ठान बिना लाभ हानि के आधार पर कार्य करेगा।  प्रवासी संसार फाउंडेशन के स्थापना दिवस के अवसर पर भारत से पूर्व राजनयिक एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् से जुड़े और प्रवासी साहित्य के मर्मज्ञ नारायण कुमार , हिंदी के जाने माने लेखक विष्णु प्रभाकर के पुत्र अतुल प्रभाकर ,विदेश मंत्रालय के पूर्व उप सचिव हिंदी सुनील श्रीवास्तव , भारत के राष्ट्रपति के विशेष कार्य अधिकारी हिंदी राकेश दुबे ,प्रवासी साहित्य में जाना माना नाम एवं शिक्षविद डा. विमलेश कांति वर्मा, पूर्व राजनयिक शरद कुमार ,सिंगापुर से हिंदी की जानी मानी लेखिका संध्या सिंह , न्यूज़ीलैंड से हिंदी लेखक एवम् भारत दर्शन के संपादक रोहित कुमार हैप्पी , दक्षिण अफ्रीका से उषादेवी शुक्ला, त्रिनिदाद और टोबैगो से भारतीयविद डा. कुमार महाबीर, रियूनियन आई लैंड से रजनीकांत ने इस कार्यक्रम में भाग लिया.
 
बैठक का शुभारम्भ करते हुए प्रवासी संसार पत्रिका के संपादक  राकेश पांडेय जी ने सभी सहभागियों का इस अवसर पर स्वागत किया और विजयदशमी के  पावन  अवसर पर सब को शुभकामनायें देते हुए प्रवासी संसार फाउंडेशन की संकल्पना उद्देश्यों और भावी योजना पर प्रकाश डाला।   राकेश पांडेय जी ने बताया कि वर्ष 2002 में अपनी प्रथम मॉरिशस यात्रा के दौरान वरिष्ठ लेखक स्व. अभिमन्यु अनंत जी और अन्य लोगों के साथ प्रवासियों के मर्म को समझने का मौका मिला।  प्रवासी संसार पत्रिका को प्रकाशित करने का विचार सन 2003 में सूरीनाम में आयोजित 7वें विश्व हिंदी सम्मलेन के दौरान आया और पहला अंक परिकल्पांक के रूप मे प्रकाशित हुआ.
    
इसके साथ साथ यह मित्रो द्वारा यह सुझाव भी आया कि प्रवासियों  के हितों से जुडी एक संस्था की स्थापना की जाए जो प्रवासियों के जीवन से जुड़े सभी पहलुओं को प्रकाश में लाये और इस सम्बन्ध में जागृति पैदा करे।  इस विचार को आज प्रवासी संसार  फाउंडेशन के रूप में मूर्त रूप दिया जा रहा है।. 
 नारायण कुमार जी ने अपने सम्बोधन में बताया कि प्रवासी  संसार पत्रिका की स्थापना के समय से ही वह जुड़े हुए है, मॉरीशस के कालजयी रचनाकार स्व. अभिमन्यु अनत भी जुड़े हुए थे।  राकेश पांडेय जी ने विश्व भर में यात्रा कर प्रवासियों के मर्म को समझा और समय समय पर पत्रिका के राष्ट्र केंद्रित विशेषांक निकाल कर इससे विश्व के सम्मुख रखा।  आज इस प्रतिष्ठान के स्थापना भी उसी उद्देशय को आगे बढ़ाने के उद्देशय से की गयी है।  उन्होंने प्रतिष्ठान की सफलता की कामना के साथ अपनी बात पूर्ण की।  
 
पूर्व उप सचिव, विदेश मंत्रालय सुनील श्रीवास्तव  ने राकेश पांडेय जी के हिंदी के प्रचार प्रसार में  विदेश मंत्रालय को समय समय पर अपने विचारों और सुझावों के माध्यम से दी गयी मदद को रेखांकित किय।  उन्होंने बताया कि राकेश पांडेय जी की  विश्व हिंदी सम्मेलनों में उपयोगी सहभागिता रही और  प्रथम विश्व हिंदी दिवस के आयोजन के  सूत्रधार भी वही थे जिससे विदेश मंत्रालय ने पहली बार विश्व हिंदी दिवस का समारोह हुआ और अब विश्वभर में इसे नियमित रूप से आधिकारिक तौर पर मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रवासियों का विषयगत ज्ञान राकेश जी में प्रकृति प्रदत है ।  प्रवासियों से जुड़े विषय हमेशा उनकी पत्रिका के केंद्र बिंदु रहे है उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आज डिजिटल युग में पत्रिका के सभी अंकों का डिजिटलीकरण आवश्यक है और इसका डिजिटल अंक निकाला जाना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय दर्शन और भारतीयता पर अनुसंधान को सामने लाने की आवश्यकता है और नयी खोजों को इसमें शामिल करने की आवश्यकता है। राकेश जी इसे करने में पूर्ण सक्षम हैं 
 
अगले वक्ता न्यूज़ीलैंड से रोहित सिंह हैप्पी रहे जिन्होंने डिजिटल मंच पर इस कार्य को आगे बढ़ाने में अपने सहयोग का आश्वासन दिया और प्रतिष्ठान के कार्य को विश्वभर में फैलाने का सुझाव दिया।
सिंगापुर से जुडी श्रीमती संध्या सिंह ने अपनी शुभकामनाओं के साथ सिंगापुर से अपने सहयोग का आश्वासन दिया.
 
प्रख्यात शिक्षाविद और प्रवासी साहित्य पर गंभीरता से कार्य करने वाले श्विमलेशकांति वर्मा ने विजयदशमी के शुभ अवसर पर इस प्रतिष्ठान के स्थापना पर सभी को बधाई दी। उन्होंने अपने वक्तव्य में रेखांकित कि कैसे राकेश पांडेय जी ने बिना किसी प्रचार के गंभीरता से इस कार्य को आज तक किया है, विश्व के अनेक शोधकार्यों में प्रवासी संसार का उल्लेख है। उन्होंने आवाह्न किया किया हम सभी को प्रतिष्ठान  के उद्देश्यों के पूर्ति के लिए इसके साथ निस्वार्थ भाव से जुड़ना चाहिए।  हमे इसकी पहुँच बढ़ानी होगी।  इस विषय में अनुपलब्ध सामिग्री को प्रतिष्ठान के माध्यम से सबको उपलब्ध कराना होग।  इस दिशा में विश्वभर के प्रवासियों को इसके मंच पर लाना होगा।  उन्होंने आशा व्यक्त कि की प्रतिष्ठान इस दिशा में नए मानक स्थापित करेगा।  प्रतिष्ठान की स्थापना पर ढेरों शुभकामनायें.
 
राकेश ने बताया कि जोहान्सबर्ग के विश्व हिंदी सम्मलेन के दौरान गाँधी जी पर प्रवासी संसार के विशेषांक की भूमिका को चंद्रशेखर धर्माधिकारी द्वारा लिखवाने का सुझाव विमलेश कांति वर्माजी का  ही था जिसने इस पुस्तक को महत्त्वपूर्ण बना दिया।  

राकेश पांडेय ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए त्रिनिदाद से प्रख्यात भारतीयविद कुमार महाबीर को अपने विचार रखने के लिए कहा।  कुमार महाबीर जी ने अपने सम्बोधन में कैरिबियाई देशों में जीवन के हर पहलु चाहे वह क्रिकेट हो, राजनीति , साहित्य हो में प्रवासी भारतीयों की भूमिका को रेखांकित किया।  उन्होंने बताया कि आज प्रवासी भारतीय युवा सभी क्षेत्रों में आगे बढ़कर अपना योगदान दे  रहे है। भारतीय भाषाओँ को उस रूप में सुरक्षित नहीं रख  पाने के बावजूद भारतीय संस्कृति त्रिनिदाद में आज भी जीवित हैं।  आज भी सारे त्यौहार परंपरागत रीति रिवाज़ के साथ मनाये जाते हैं और भारत से आने वाले भारतीय इसे देखकर अचंभित हो जाते हैं।  उन्होंने सुझाव दिया कि अगली बैठक में फिजी , त्रिनिदाद , गुयाना , मॉरिशस , दक्षिण अफ्रीका से युवाओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए ताकि भारत के बारे में नकारात्मकता को दूर किया जा सके।  उन्होंने आशा व्यक्त कि प्रतिष्ठान प्रवासियों से सम्बंधित विषयों को उठाता रहेगा।  सभी प्रवासियों को इससे जोड़ना होगा 
 
विष्णु प्रभाकर के पुत्र अतुल प्रभाकर ने अपने सम्बोधन में इस कार्यक्रम को विजयदशमी पर विजय की ओर कदम बताया और आशा व्यक्त की कि यह संस्थान एक उत्कृष्ट संस्थान सिद्ध होगा .
 
राकेश पांडेय जी ने फिजी और सूरीनाम में राजनयिक के तौर पर काम कर चुके पूर्व राजनयिक शरद कुमार को सम्बोधन के लिए आमंत्रित किया। शरद कुमार जी ने उत्तरी गोलार्ध से दक्ष्णि गोलार्ध तक फैले प्रवासी देशों में प्रवासियों के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए प्रवासियों के हितों के लिए कार्य  करने हेतु एक संस्था की आबश्यकता पर बल दिया और प्रवासी संसार प्रतिष्ठान की स्थापना को समयानुकूल बताया उन्होंने प्रवासियों  के जीवन से जुड़े सभी पहलुओं पर अनुसंधान करने और उस पर जागृति के लिए कार्य करने पर जोर दिया।  उन्होंने राकेश पांडेय जी को प्रवासी संसार फाउंडेशन की स्थापना पर बधाई दी और आशा व्यक्त की यह प्रतिष्ठान प्रवासियों के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा.
 
राष्ट्रपति के विशेष कार्याधिकारी हिंदी राकेश दुबे जी ने लम्बे समय से प्रवासी संसार के सफल सम्पादन के लिए राकेश पांडेय जी को बधाई दी । उन्होंने बताया कि कि प्रवासी संसार हमेशा से अपने उत्कृष्ट लेखों के लिए जाना जाता रहा है उन्होंने प्रतिष्ठान की  स्थापना के लिए उन्हें बधाई दी और विश्वभर में चुपचाप काम करने वालों को इससे जोड़ने का सुझाव दिया .
 
राकेश पांडेय ने प्रवासी संसार के सभी विशेषांक के प्रकाशन में सब के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा गाँधी गाँधी विशेषांक को पुस्तक के रूप में संग्रहित कर इसके महत्व को रेखांकित किया.
 
अंत मे सारगर्भित वक्तव्य मे नारायण कुमार जी ने प्रवासी संसार प्रतिष्ठान की स्थापना के लिए राकेश पांडेय को बधाई दी और प्रवासी संसार पत्रिका और प्रवासी संसार प्रतिष्ठांन दोनों अवसरों पर मौजूद रहने को अपना सौभाग्य बताया। उन्होंने विमलेश कांति वर्मा जी के प्रवासियों पर उनके कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने श्रीवास्तव  के सम्बोधन को विषयपरक बताया साथ ही सिंगापुर में संध्या जी और रोहित सिंह हैप्पी के न्यूज़ीलैंड में कार्यों की भी सराहना की.
 
राकेश पांडेय ने अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की.
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