हिरोशिमा नागासाकी: तबाही के 68 साल

हिरोशिमा नागासाकी: तबाही के 68 साल टोक्यो: सन् 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा (6 अगस्त) और नागासाकी (9 अगस्त) पर परमाणु बम गिराए थे, जिसमें लगभग 1,40,000 लोगों की जानें गई थीं।

इस अवसर पर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने परमाणु हथियार उन्मूलन के लिए प्रयास जारी रखने की प्रतिज्ञा की। नागासाकी के पीस पार्क में आयोजित कार्यक्रम में 44 देशों के प्रतिनिधियों सहित उपस्थित लोगों ने 68 साल पहले ठीक 11 बजकर दो मिनट पर हुए परमाणु हमले में मारे गए लोगों के लिए मौन प्रार्थनाएं की।

समारोह में प्रधानमंत्री अबे ने परमाणु हथियारों के उन्मूलन की ओर अपने प्रयास जारी रखने का वचन दोहराया। तीन दिन पहले हिरोशिमा में भी उन्होंने यह वचन दोहराया था।दूसरी तरफ नागासाकी के मेयर तोमिहिसा ताउ ने परमाणु हथियारों के विरोध में जापान सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की।

इस मौके पर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ने मैमोरियल पार्क में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए इस आज तक सबसे दुखद घटना बताया। इस हमले की 68 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में हजारों लोगों ने भाग लिया।

6 अगस्त, 1945 की सुबह अमरीकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम लिटिल ब्वॉय बम गिराया था। तीन दिनों बाद अमरीका ने नागासाकी शहर पर फैट मैन परमाणु बम गिराया। यह मानवजाति के इतिहास में परमाणु हथियारों का सबसे पहला प्रयोग था।

यह परमाणु बम सैन्य दस्तों और सैन्य अड्डों पर ही नहीं बल्कि रिहायशी कस्बों पर भी गिराए गए थे। इस घटना के काफी वर्ष बाद तक भी यहां पर परमाणु बम के धमाके का असर देखा जाता रहा।

लाखों लोगों को मौत की नींद में सुलाने वाला इस हमले की भयानकता का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि परमाणु हमले के दो से चार माह के अंदर ही करीब 90,000 से 1,66,000 तक हिरोशिमा में और 60,000 से 80,000 तक नागासाकी में लोगों की मौत हो गई।

इनमें से आधे से अधिक तो पहले ही दिन काल की गाल में समा गए। हिरोशिमा की हेल्थ विभाग का आंकलन है कि साठ फीसद तो केवल बमबारी की वजह से आग की लपटों में जल गए। तीस फीसद लोग मलबे में दबकर तो बचे दस फीसद लोगों की अन्य कारणों से मौत हो गई।
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