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भारत के गणतंत्र बनने के साक्षी थे सुकर्णो

भारत के गणतंत्र बनने के साक्षी थे सुकर्णो नई दिल्ली: देश के पहले गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) जगमग रोशनी से गुलजार था जहां भारत के गणतंत्र के रूप में दुनिया के पटल पर उभरने के साक्षी रहे लोगों में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो शामिल थे।

‘रेमिनिसेंस ऑफ फर्स्ट रिपब्लिक डे’ के अनुसार, 26 जनवरी 1950 को देश के पहले गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस में कई देशों के राजनयिकों और सुकर्णो सहित 500 से अधिक अतिथि थे। इन सब अतिथियों के बीच देश के अंतिम गर्वनर जनरल सी. राज गोपालाचारी ने भारत के गणतंत्र बनने की घोषणा करते हुए कहा, ‘इंडिया जो भारत है, वह सम्प्रभुता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणतंत्र होगा।’

देश के इतिहास के उस अभूतपूर्व क्षण में स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी गई। भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति हीरालाल कानिया ने हिन्दी में शपथ दिलायी। इस मौके पर राजेन्द्र प्रसाद काली अचकन, उजला चूड़ीदार पाजामा और सफेद गांधी टोपी पहने हुए थे।

20वीं शताब्दी के उस ऐतिहासिक क्षण के गवाहों में निवर्तमान गर्वनर जलरल सी. राज गोपालाचारी, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, उपप्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल, कैबिनेट मंत्री, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, भारत के ऑडिटर जनरल आदि मौजूद थे।

उस अवसर पर पंडित नेहरू और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ भी दिलायी गई। लोकसभा के पहले अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर भव्य दरबार हाल में पहली पंक्ति में बैठे हुए थे। दरबार हाल में हर्ष और उल्लास के अविस्मरणीय दृश्य था। देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आए लोग राष्ट्रपति भवन परिसर के आसपास एकत्र थे। बाद में हजारों की संख्या में लोगों ने महात्मा गांधी की समाधि ‘राजघाट’ जाकर अपने प्यारे बापू को श्रद्धांजलि आर्पित की।

दरबार हाल में पहली बार राष्ट्रीय प्रतीक (चार शेर मुख वाले अशोक स्तम्भ) को उस स्थान पर रखा गया जहां ब्रिटिश वायसराय बैठा करते थे। पहली बार ही वहां सिंहासन के पीछे मुस्कुराते बुद्ध की मूर्ति भी रखी गई थी। प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने सभी उपस्थित लोगों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया और हिन्दी एवं अंग्रेजी में संक्षिप्त भाषण दिया। दिल्ली समेत देश के अनेक स्थानों पर देश के प्रथम गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रभात फेरी भी निकाली गई और यह परंपरा आज भी जारी है।
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