आखिर क्यों 39 साल में ही दुनिया छोड़ गए थे स्वामी विवेकानंद?
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jan 07, 2013, 11:35 am IST
Keywords: Worldwide Indian Spirituality Swami Vivekananda 31 Illnesses Suffering Scholar Dies At 39 Years दुनिया भर भारतीय आध्यात्म स्वामी विवेकानंद 31 बीमारियों पीड़ित विद्वान 39 साल में देहावसान
कोलकाता: दुनिया भर में भारतीय आध्यात्म का झंडा बुलंद करने वाले स्वामी विवेकानंद 31 बीमारियों से पीड़ित थे। शायद यही वजह रही कि इस विद्वान का महज 39 साल की उम्र में देहावसान हो गया।
मशहूर बांग्ला लेखक शंकर की पुस्तक ‘द मॉन्क एस मैन’ में कहा गया है कि निद्रा, यकृत, गुर्दे, मलेरिया, माइग्रेन, मधुमेह व दिल सहित 31 बीमारियों से स्वामी विवेकानंद को जूझना पड़ा था। शंकर ने स्वामी विवेकानंद की बीमारियों का उल्लेख संस्कृत के एक श्लोक ‘शरियाम ब्याधिकमंदिरम’ से किया है। इसका मतलब है कि ‘शरीर बीमारियों का मंदिर होता है।’ इतनी बीमारियों का सामना करने वाले विवेकानंद ने शारीरिक मजबूती पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि गीता पढ़ने से अच्छा फुटबॉल खेलना है। विवेकानंद की एक बीमारी उनका निद्रा रोग से ग्रसित होना था। उन्होंने 29 मई, 1897 को शशिभूषण घोष के नाम लिखे पत्र में कहा था कि मैं अपनी जिंदगी में कभी बिस्तर पर लेटते ही नहीं सो सका। यह भी पता चला है कि विवेकानंद मधुमेह से भी पीड़ित थे और उस वक्त इस बीमारी की कारगर दवा उपलब्ध नहीं थी। शंकर लिखते हैं कि विवेकानंद ने बीमारियों से निजात पाने के लिए उपचार के कई माध्यमों का सहारा लिया। इसमें एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेद की विधाएं शामिल थीं। लेखक के अनुसार स्वामी विवेकानंद 1887 में अधिक तनाव और भोजन की कमी के कारण काफी बीमार हो गए थे। उसी दौरान वह पित्त में पथरी और दस्त से भी पीड़ित हुए। कई बीमारियों से लड़ते हुए चार जुलाई 1902 को विवेकानंद का 39 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था। शंकर ने इस बात का भी खुलासा किया कि स्वामी विवेकानंद ने भारत लौटने के लिए अपनी मिस्र की यात्रा में कटौती क्यों की थी। दरअसल विवेकानंद ने मिस्र में घोषणा की थी कि 4 जुलाई को उनका देहांत हो जाएगा। उनका कहना था कि मृत्यु के समय वे भारत में अपने गुरुभाइयों के समीप रहना चाहते हैं। |
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